पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जी-20 के लोगो में कमल के इस्तेमाल को मुद्दा बनाए जाने से इनकार किया है। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता का कहना है कि वह इस मुद्दे को उठाने से परहेज करेंगी क्योंकि अगर इस मुद्दे पर बाहर चर्चा होती है तो यह देश के लिए शुभ संकेत नहीं होगा।
साथ ही सीएम ममता ने तर्क दिया कि केंद्र सरकार G20 शिखर सम्मेलन के लोगो में कमल के अलावा किसी अन्य राष्ट्रीय प्रतीक को चुन सकती है, क्योंकि कमल का फूल एक राजनीतिक दल का भी चुनाव चिन्ह है। सोमवार को नई दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले कोलकाता हवाईअड्डे पर मीडिया से बात करते हुए टीएमसी प्रमुख ममता ने कहा कि जी20 का मामला हमारे देश से जुड़ा है, इसलिए इसे मुद्दा बनाना उचित नहीं है। अगर इस मुद्दे पर देश के बाहर चर्चा होती है तो यह देश की छवि के लिए ठीक नहीं है।
जी20 शिखर सम्मेलन की तैयारी पर चर्चा को लेकर बैठक
बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन की तैयारी प्रक्रिया पर चर्चा करने के लिए दिल्ली में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। दिल्ली की यात्रा के दौरान टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी बैठक में भाग लेंगी। सीएम ममता ने कहा कि वह बैठक में जी20 लोगो का मुद्दा नहीं उठाएंगी, लेकिन अन्य दल इस मुद्दे को उठा सकते हैं। टीएमसी प्रमुख सुप्रीमो ने कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि केंद्र सरकार को इस मामले पर विचार करना चाहिए।
वहीं, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए जी20 लोगो में कमल का इस्तेमाल किया। हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस के इस आरोप को खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि कमल का फूल देश की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है।
पीएम मोदी के रोड शो पर सवाल
साथ ही टीएमसी प्रमुख ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के दिन ‘रोड शो’ करने पर सवाल उठाया. ममता ने कहा कि मतदान के दिन रोड शो की इजाजत नहीं होती है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पार्टी वीवीआईपी हैं, वे कुछ भी कर सकते हैं और उन्हें माफ कर दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने काफिले के साथ अहमदाबाद में वोट डालने पहुंचे। विपक्ष ने इसे रोड शो करार देते हुए चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिसंबर को गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए लंबा रोड शो किया था। इसे लेकर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे, क्योंकि उसी दिन गुजरात में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान हो रहा था।