विद्रोही कवि काजी नजरूल इस्लाम को ममता बनर्जी ने दी श्रद्धांजलि
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को ‘विद्रोही कवि’ काजी नजरूल इस्लाम की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने टि्वटर पर लिखा, ”आज विद्रोही कवि’ काजी नजरूल इस्लाम की जयंती पर मैं उन्हें नमन करती हूं। हमारे पश्चिम बर्धमान जिले के चुरुलिया से ताल्लुक रखने वाले कवि नजरूल ने अपनी देशभक्ति और राजनीतिक विचारधारा से हमें दृढ़ता के साथ प्रेरित किया। वह हमेशा हमारे पथप्रदर्शक बने रहेंगे।’
काजी नजरूल इस्लाम एक बंगाली कवि, लेखक, गीतकार और बंगलादेश के राष्ट्रीय कवि हैं। उन्हें बंगला साहित्य के महान कवियों में से एक माना जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई कविताओं, गीतों, सामाजिक संदेशों, उपन्यास, कहानियों की रचना की है। जिनमें समानता, न्याय, साम्राज्यवाद विरोधी, मानवता, उत्पीड़न के खिलाफ विद्रोह और भक्ति की झलक मिलती थी।
श्री नजरूल इस्लाम राजनीतिक और सामाजिक न्याय की दिशा में काफी सक्रिय थे और साथ ही उन्होंने ‘विद्रोही’ शीर्षक के साथ एक कविता भी लिखी थी इसलिए उन्हें ‘विद्रोही कवि’ कहा जाने लगा था। उन्होंने जिन गीतों की रचना की थी उन्हें ‘नजरूल गीति’ के नाम से जाना जाता है, जो बंगला संगीत की एक लोकप्रिय शैली है।
बंगलादेश की सरकार ने उन्हें 1972 में “राष्ट्रीय कवि” का दर्जा दिया। उन्हें मानद डी.लिट की उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है। 1974 में ढाका विश्वविद्यालय और 1976 में बंगलादेश के राष्ट्रपति न्यायमूर्ति अबू सादात मुहम्मद सईम द्वारा एकुशी पदक से उन्हें सम्मानित किया गया।
पश्चिम बंगाल के अंडाल में काजी नजरूल इस्लाम एयरपोर्ट भारत की पहली ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट है। कलकत्ता विश्वविद्यालय में उनके नाम पर एक कुर्सी रखी गई है और इसी के साथ पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता के राजारहाट में उनकी स्मृति में नजरूल तीर्थ के नाम से एक सांस्कृतिक केंद्र का शुभारंभ भी किया है।
साल 2020 के 25 मई को उनकी 121वीं जयंती के अवसर को गूगल ने डूडल बनाकर सेलिब्रेट किया था।