संविधान के अनुच्‍छेद 6 के मुताबिक उप-राज्यपाल को दिल्ली विधानसभा का सत्र बुलाना, विधानसभा का स्थगन और इसके विघटन का अधिकार है। उन्‍हें ये भी सुनिश्चित करना होता है कि दो सत्रों के बीच छह माह से अधिक का समय न हो। वहीं संविधान के अनुच्‍छेद 9 के अनुसान किसी लंबित विधेयक या किसी अन्य मुद्दे पर विधानसभा को अपना संदेश भेज सकते हैं। इसके बाद इस पर कार्रवाई की रिपोर्ट विधानसभा को उनको देनी जरूरी होती है। इसी तरह से अनुच्‍छेद 22 के अंतर्गत उन्‍हें कुछ अन्‍य शक्तियां भी दी गई हैं। इसके तहत उनकी सहमति के बिना किसी भी बिल को सरकार विधानसभा में पेश नहीं कर सकती है। इनमें कर लगाना या हटाना या इसमें परिवर्तन करना शामिल है। इसके अलावा वित्तीय दायित्वों से संबंतिधक कानूनों में संशोधन भी बिना उप-राज्‍यपाल की सहमति से नहीं किए जा सकते हैं। इन सभी के अलावा विधानसभा द्वारा पारित किसी भी बिल को उप-राज्यपाल की अनुमति के लिए पेश करना जरूरी होता है। उनके पास इस बिल को पारित करने, खारिज करने का पूर्ण अधिकार है।