जानें- बाइडन ने राष्ट्रपति बनने से पहले ही ट्रंप के किन फैसलों को पलटने का किया है एलान
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के बाद सामने आए इलेक्टोरल कॉलेज के परिणाम डेमोक्रेट पार्टी के जो बाइडन के हक में गए हैं। इसके बाद उन्हें आधिकारिकतौर पर विजयी घोषित कर दिया गया है। अब वो 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। उनके साथ इसी दिन भारतीय मूल की कमला हैरिस भी उप राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। अमेरिकी इतिहास में ये पहली बार है जब वहां की उपराष्ट्रपति पद पर कोई भारतीय मूल की महिला काबिज होगी।
बहरहाल, बराक ओबामा के बाद राष्ट्रपति पद पर काबिज होने वाले डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन की बात करें तो इनमें काफी चीजें समानता देखने को मिलती है। जैसे डोनाल्ड ट्रंप ने जब राष्ट्रपति का पदभार संभाला उसके बाद उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति ओबामा के कई फैसलों को पलट दिया। अब अमेरिका के नए बनने वाले राष्ट्रपति ने ट्रंप के फैसलों को पलटने की घोषण कर दी है। इसका सीधा सा अर्थ है कि बाइडन का कार्यकाल काफी अहम साबित होने वाला है।
बराक ओबामा द्वारा साइन की हुई जलवायु संधि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वर्ष 2018 में तोड़ कर इससे बाहर आने की घोषणा की थी। उनका कहना था कि इस संधि से अमेरिकियों को मूर्ख बनाया गया है और इसका फायदा दूसरे देशों को मिला है। इसलिए वो इस संधि से बाहर आकर अमेरिका को होने वाले नुकसान से बचाना चाहते हैं। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ग्रीन क्लाइमेट में फंडिंग करने वालों में अमेरिका सबसे आगे है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस संधि से बाहर आने की घोषणा करते हुए भारत समेत दूसरे देशों पर तंज कसा था। लेकिन अमेरिका की नई सत्ता में बाइडन दोबारा इस संधि में दोबारा शामिल होंगे। बाइडन इसकी घोषणा कर चुके हैं कि वो इसमें शामिल होंगे।
ओबामा के कार्यकाल में ईरान से अमेरिका ने परमाणु संधि की थी। इस संधि में इनके अलावा अन्य पांच देश भी शामिल थे। राष्ट्रपति ट्रंप ने वर्ष 2018 में इस संधि को रद करते हुए इससे बाहर आने की घोषणा की थी। इस संधि में शामिल अन्य देशों ने अमेरिका से ऐसा न करने की अपील की थी। इसके बाद भी ट्रंप अपने फैसले से पीछे नहीं पलटे। उनका कहना था कि ओबामा की इस डील से अमेरिका को नुकसान के अलावा कुछ और हासिल नहीं हुआ है। ऐसे में इस संधि का कोई मतलब नहीं है। उनका ये भी कहना था कि अमेरिका के फायदे के लिए वो ईरान से दोबारा परमाणु संधि करना चाहते हैं। अब अमेरिका के होने वाले नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने घोषणा की है कि वो दोबारा से ईरान के साथ हुई संधि में शामिल होंगे। इस तरह से ये ट्रंप का दूसरा फैसला होगा जिसको बाइडन पलट देंगे।
पूरी दुनिया में कोविड-19 महामारी के फैलने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच खटास खुलकर उस वक्त सामने आई जब उन्होंने इस संगठन को फंडिंग करने से इनकार कर दिया। ट्रंप का आरोप था कि डब्ल्यूएचओ चीन का समर्थन कर रहा है जबकि इस जानलेवा वायरस के पीछे चीन का ही हाथ है। उन्होंने ये भी आरोप लगाया था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस महामारी की खबर पहले ही मिल गई थी इसके बाद भी उसने दुनिया को इसकी जानकारी काफी समय बाद दी। इसका खामियाजा अमेरिका को भुगतना पड़ा है। हालांकि ट्रंप के इस बयान की सभी देशों ने कड़ी आलोचना की थी इसके बाद भी ट्रंप नहीं माने। अब जबकि बाइडन देश की सत्ता पर काबिज होने वाले हैं तो उन्होंने पिछले माह ही इस बात की घोषणा की है कि वो दोबारा पहले की ही तरह विश्व स्वास्थ्य संगठन साथ जुड़ेंगे। बाइडन ने ये भी कहा है कि उनकी सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि चीन नियम-कायदे के आधार पर काम करे। बाइडन ने ये भी साफ कर दिया कि उसकी सरकार के पहले ही दिन वो इस संगठन से जुड़ जाएंगे।
राष्ट्रपति ट्रंप को ईरान से हुई परमाणु संधि न तोड़ने के लिए जिस देश ने सबसे ज्यादा कोशिश की थी उसका नाम था जर्मनी। लेकिन इस कोशिश ने अमेरिका और जर्मनी के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया था। ट्रंप इसके बाद जर्मनी को लेकर काफी आक्रामक दिखाई दिए थे। रक्षा बजट के दौरान भी उनकी ये आक्रामकता दिखाई दी थी। इसके अलावा नॉर्थस्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन पर भी उन्होंने तंज कसा था। दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर ट्रंप का रुख काफी सख्त रहा था। उन्होंने जर्मनी की कारों पर शुल्क बढ़ाने की धमकी दी थी। बाइडन ने पद भार संभालने से पहले अन्य देशों से संबंधो को मधुर करने की कवायद शुरू करने की बात कहकर ट्रंप की नीतियों को आगे न बढ़ाने की मंशा को काफी हद तक साफ कर दिया है।
चीन के साथ ट्रंप के रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे हैं। कई मौकों पर पूरी दुनिया ने इसको करीब से देखा है। बाइडन ने साफ किया है कि वो अपने कार्यकाल में अन्य देशों से संबंध सुधारने की कोशिश करेंगे। जहां तक भारत की बात है तो बराक ओबामा के समय में भारत के संबंध अच्छे थे, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल ये और मधुर हुए। अब बाइडन के कार्यकाल में ये संबंध काफी कुछ उनके ऊपर निर्भर होंगे।