कश्मीर पर न्यूयार्क असेंबली में पारित प्रस्ताव पर भारत ने जताई कड़ी आपत्ति
भारत ने अमेरिका की न्यूयार्क असेंबली में कश्मीर को लेकर पारित प्रस्ताव की कड़ी निंदा की। भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यह लोगों को विभाजित करने के लिए जम्मू-कश्मीर के समृद्ध सांस्कृतिक एवं सामाजिक ताने-बाने की गलत व्याख्या करने की निहित स्वार्थी लोगों की चिंताजनक कोशिश है। बता दें कि तीन फरवरी को न्यूयार्क स्टेट असेंबली ने गवर्नर एंड्रयू कुओमो से पांच फरवरी को कश्मीर अमेरिकी दिवस घोषित करने का अनुरोध करने संबंधी एक प्रस्ताव पारित किया था।
वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास के एक प्रवक्ता ने इस प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि हमने कश्मीर अमेरिकी दिवस संबंधी न्यूयार्क असेंबली का प्रस्ताव देखा है। अमेरिका की तरह भारत भी एक जीवंत लोकतांत्रिक देश है। भारत जम्मू-कश्मीर समेत अपने समृद्ध सांस्कृतिक ताने-बाने और अपनी विविधता का उत्सव मनाता है। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसे अलग नहीं किया जा सकता। प्रवक्ता ने शनिवार को कहा कि हम भारत-अमेरिका साझेदारी और विविधता भरे भारतीय समुदाय से जुड़े सभी मामलों पर न्यूयार्क स्टेट में निर्वाचित प्रतिनिधियों से बात करेंगे।
वास्तविकता स्वीकार करे पाक
न्यूयार्क में पाकिस्तान के महावाणिज्य दूतावास ने ट्वीट कर इस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए सायेघ और द अमेरिकन पाकिस्तानी एडवोकेसी ग्रुप की सराहना की। भारत पाकिस्तान समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्पष्टरूप से कह चुका है कि राज्य से अनुच्छेद 370 हटाना उसका आंतरिक मामला है। पाकिस्तान से उसने इसकी वास्तविकता स्वीकार कर भारत विरोधी दुष्प्रचार बंद करने की सलाह दी है।
क्या है प्रस्ताव
प्रस्ताव में कहा गया है कि कश्मीरी समुदाय ने हर कठिनाई को पार किया है, दृढ़ता का परिचय दिया है और अपने आप को न्यूयार्क प्रवासी समुदायों के एक स्तंभ के तौर पर स्थापित किया है। न्यूयार्क राज्य विविध सांस्कृतिक, जातीय एवं धार्मिक पहचानों को मान्यता देकर सभी कश्मीरी लोगों की धार्मिक, आवागमन एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समेत मानवाधिकारों का समर्थन करने के लिए प्रयासरत है।