भारत-ब्रिटेन शैक्षणिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता के लिए संयुक्त टास्क फोर्स बनाएंगे
भारत और ब्रिटेन ने शैक्षणिक योग्यता को पारस्परिक मान्यता देने के लिए संयुक्त टास्क फोर्स बनाने का फैसला किया है। इस टास्क फोर्स में दोनों देशों के नामित उच्च शिक्षा संगठनों को शामिल किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब की बुधवार को हुई बैठक में यह निर्णय किया गया।
निशंक ने कहा कि शैक्षणिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता की दिशा में काम करने का समझौता, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्व स्तर पर मोबाइल कार्यबल बनाने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में प्रस्तावित भारतीय उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के दृष्टिकोण के अनुकूल है। राब के साथ निशंक की बैठक में शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे और शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
राब ने भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वप्नदर्शी बताया और कहा कि प्रस्तावित सुधारों से छात्रों, अर्थव्यवस्था और दोनों देशों के बीच गहरे जुड़ाव एवं सहयोग के अवसर खुलेंगे। उन्होंने कहा कि यह नीति भारत और ब्रिटेन के बीच शैक्षिक संबंधों को मजबूत बनाने में मदद करेगी।
ब्रिटेन के छात्र समूहों ने किया स्वागत निशंक और राब की बैठक में लिए गए फैसले का ब्रिटेन के छात्र समूहों ने स्वागत किया है। शैक्षणिक योग्यता को पारस्परिक मान्यता देने की वो लंबे समय से मांग करते आ रहे थे। अभी ब्रिटेन में एक साल के मास्टर डिग्री को भारत के सरकारी क्षेत्र में मान्यता नहीं मिली है। चिकित्सा और कानून के क्षेत्र में भी इसी तरह की कुछ बाधाएं हैं। ब्रिटेन के प्रमुख विश्वविद्यालयों के संगठन के पदाधिकारी विवियन स्टेम ने फैसले को अद्भुत खबर करार दिया। वहीं, यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउत में ग्लोबल डायरेक्टर बॉबी मेहता ने भविष्य की तरफ उल्लेखनीय कदम बताया।
किसान आंदोलन भारत का आंतरिक मामला
ब्रिटिश विदेश मंत्री राब ने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन को भारत का आंतरिक मामला बताया है। बुधवार को उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उनकी अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से बातचीत हुई थी। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन इस तथ्य का सम्मान करता है कि भारत द्वारा शुरू किए गए कृषि सुधार उसके घरेलू मामले हैं।