कर्नाटक: किसे मिलेगी कमान? असमंजस में हाईकमान, CM को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद अभी भी CM को लेकर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। पार्टी के नेता ये तय नहीं कर पा रहे कि किसे सीएम चुना जाए। इसे लेकर पार्टी के आला हाईकमान असमंजस की स्थिति में हैं कि किसे सीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाए। इस लेकर हाईकमान ने कर्नाटक में पर्यवेक्षकों को भेजा है। आज पर्यवेक्षकों ने बेंगलुरु में विधायक दल की बैठक के बाद सभी सदस्यों के साथ वन टू वन बैठक की है। इसके बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे की सभी विधायक एक बॉक्स में चिट डालें कि वे किसे अपना सीएम बनाना चाहते हैं। पर्यवेक्षकों ने सभी MLA को सीक्रेट बॉक्स में चिट के जरिए उनकी राय मांगी है। बता दें कि कर्नाटक में सीएम पद के लिए दो प्रबल दावेदार हैं- DK शिवकुमार और सिद्धारमैया।
बैठक में तीन तरह की बातें आईं सामने
हाईकमान मुझे जन्मदिन का तोहफ़ा देगा या नहीं- DK
फाइव स्टार होटल में पर्यवेक्षकों से मिलने के बाद DK शिवकुमार ने कहा कि हाईकमान मुझे जन्मदिन का तोहफ़ा देगा या नहीं मुझे नहीं पता लेकिन कर्नाटक की जनता ने मुझे आशीर्वाद दिया है। डीके शिवकुमार ने आगे कहा कि सोनिया गांधी ने मुझ पर भरोसा जताया और कर्नाटक को उनकी झोली में डालने का वादा मैंने पूरा किया है, डबल इंजन की सरकार ने मुझे काफी प्रताड़ित किया। इसके बावजूद कांग्रेस के लिए मैंने ऐतिहासिक जीत दिलाई है। बता दें कि दोपहर 1 बजे सिद्धारमैया और DK शिवकुमार को स्पेशल प्लेन से दिल्ली जाना था लेकिन सिर्फ सिद्धारमैया तो निकले, पर DK शिवकुमार ने जन्मदिन और घर में पूजा का हवाला देते हुए देरी कर दी।
जानें क्यों आलाकमान डीके नहीं बनाना चाहते सीएम
बता दें कि इसमें कोई दो राय नहीं कि 2019 में निष्प्राण हो चुके संगठन में जान फूंककर पार्टी को 135 विधायकों के साथ रिकॉर्ड जीत दिलवाने में DK शिवकुमार ही सबसे बड़े किरदार हैं। लेकिन फिर भी आलाकमान उन्हें CM बनाने की स्थिति में फिलहाल नहीं दिख रही है, उसकी वजह है कि अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनाव। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पहले ही कह चुके हैं कि इन चुनावों को जीतकर सिर्फ बेटल जीता है असली वॉर जीतना अभी बाकी है ऐसे में अगर DK शिवकुमार को CM बनाया जाता है तो पहले से ही CM रह चुके सिद्धारमैया को केबिनेट से बाहर रखना होगा।
सिद्धारमैया अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों की आवाज
बता दें कि सिद्धारमैया कुरुबा समुदाय से आते हैं जिसकी आबादी तकरीबन 8 फीसदी है, इसके अलावा सिद्धारमैया वो नेता हैं जिन्होंने अहिंदा आंदोलन को राज्य में फिर से जिंदा किया, इस आंदोलन के जरिए सिद्धारमैया अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों की आवाज बन गए। वहीं इस चुनाव में पहली बार ऐसा हुआ है कि कर्नाटक की आबादी में तकरीबन 40 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और दलितों ने एकजुट होकर कांग्रेस को वोट किया जिसका श्रेय कहीं न कहीं सिद्धारमैया को ही जाता है। सिद्धारमैया को अधिकार से बाहर रखने का मतलब लोकसभा चुनावों में इस 40 फीसदी आबादी की नाराजगी पार्टी को झेलनी पड़ सकती है ये रिस्क पार्टी फिलहाल उठाना नहीं चाहती है।
पॉवर शेयरिंग ही विकल्प
पार्टी ने निकाला 2+3 का फार्मूला
सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने बिना किसी परेशानी के सरकार के गठन और लोकसभा को ध्यान में रखते हुए 2+3 का फार्मूला निकाला है। पहले 2 साल सिद्धरामैया को CM बनाया जायेगा ताकि लोकसभा चुनावों में 40 फीसदी अहिन्दा वोट को अपने पाले में किया जाए। इसके बाद DK शिवकुमार सहित एक दलित और लिंगायत नेता को डिप्टी CM बनाया जाएगा ताकि लोकसभा के चुनावों के वोक्कलिगा और लिंगायत वोटों का समर्थन भी पार्टी को मिले। 2 साल बाद अगले तीन सालों के लिए DK शिवकुमार को CM बनाया जाएगा। साथ ही अगला चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा ताकि संगठन की मजबूती बनी रहे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सिद्धारमैया इस प्रस्ताव से कमोबेश सहमत भी हैं लेकिन चूंकि राजनीति अनिश्चिताओं का खेल है इसीलिए DK शिवकुमार इस फार्मूले को लेकर फिलहाल खुश नहीं दिख रहे हैं। इसलिए कांग्रेस में उन्हें मनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं।