01 November, 2024 (Friday)

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की पूरी कुंडली, सिद्धि मिलने से लेकर बंगाल कनेक्शन तक, सब कुछ यहां जानें

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री देशभर में सुर्खियों में बने हुए हैं। उनके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। हर कोई ये देखकर दंग रह जाता है कि आखिर कोई शख्स किसी दूसरे शख्स के बारे में पहले से ही कैसे जान लेता है और भविष्य के बारे में कैसे दावे कर देता है। उनके प्रशंसक देश-विदेश में हैं। इस बीच इंडिया टीवी ने ये जानने की कोशिश की है कि आखिर धीरेंद्र को सिद्धि कैसे मिली और उनका निजी जीवन कैसा था। इसलिए इंडिया टीवी ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के ताऊ स्वामी प्रसाद गर्ग से बातचीत की, जिसमें धीरेंद्र और उनके परिवार से जुड़ी कई बातें पता लगीं।

बंगाल से मिलीं धीरेंद्र के परिवार को शक्तियां

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के ताऊ स्वामी प्रसाद गर्ग ने इंडिया टीवी को बताया, ‘हमारे परिवार में आध्यात्मिक और चमत्कारिक शक्तियां बंगाल से आई हैं। 5 पीढ़ी पहले संन्यासी बाबा अपने मित्र के पास बंगाली विद्या सीखने बंगाल गए थे। संन्यासी बाबा हमारे पांच पीढ़ी पहले के पूर्वज थे। उन्होंने संन्यास लिया, इसलिए उनका नाम संन्यासी बाबा पड़ा। बंगाल से ही संन्यासी बाबा को शक्तियां मिलीं।’

संन्यासी बाबा की शक्तियां धीरेंद्र को मिलीं: स्वामी प्रसाद

धीरेंद्र के ताऊ स्वामी प्रसाद गर्ग ने कहा, ‘हमारे पिताजी ने भी संन्यास लिया था और प्रेमपुजारी चित्रकूट से दीक्षा ली। धीरेंद्र को भी वही संन्यासी बाबा की शक्तियां मिली। दुखी, बाहरी हवा लगने के मामले, नकारात्मक शक्तियां आने के मामले धीरेंद्र ठीक कर देता है। धीरेंद्र ने प्रेतराज का पेड़ अभी बनाया है और वह लोगों को ठीक करने लगे हैं। धीरेंद्र ने वेद-पुराण का अध्ययन मेरे घर से किया है और सिद्धि हासिल की है। अजयगढ़ का जंगल है या जटाशंकर का जंगल है, उन्होंने सिद्धि प्राप्त की और तंत्र मंत्र किया।’

गदा का क्या करते हैं धीरेंद्र?

धीरेंद्र के ताऊ स्वामी प्रसाद गर्ग ने कहा, ‘हनुमान जी का मुगदर-गदा प्रेतों को डराने के लिए है। झोला का रहस्य मैं नहीं बताऊंगा। लोग अलग-अलग टोपी बांध देते हैं, जिस पर वह व्यक्तियों को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग पोज बनाते हैं। सेनापति अलग है, सैनिक कला के कांटे ही कांटे को निकालता है।’

यूपी के गोरखपुर से है परिवार का नाता

धीरेंद्र के ताऊ स्वामी प्रसाद गर्ग ने कहा, ‘हमारा परिवार पीढ़ियों पहले यूपी के गोरखपुर जिले के ममखोर गांव में था। वहां से एमपी के सतना जिले के पाली गांव आया और फिर 5 पीढ़ी पहले गढ़ा गांव से 4 किलोमीटर डोर कोंडा गांव आया। फिर चार पीढ़ी से परिवार गढ़ा गांव में है।’

धीरेंद्र के परिवार में कौन है? कब मिली सिद्धि?

ताऊ स्वामी प्रसाद गर्ग का कहना है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पिताजी 6 भाई थे, इनके पिता का नाम राम कृपाल गर्ग है। मैंने इन्हें मंत्र वगैरह सिखाए और उसके बाद 2012 में सिद्धि मिली। मेरे दोनों लड़कों ने भी इन्हें पढ़ाया। संन्यासी बाबा हमारे पांच पीढ़ी पहले के पूर्वज थे।

उन्होंने बताया कि हम मामखोर गर्ग हैं। हम मामखोर शुक्ल हैं, गर्ग गोत्र है। संन्यासी बाबा कोंडा के पांडेजी के साथ बंगाली विद्या सीखने बंगाल गए। दोनों ने कहा था, हम साथ चलेंगे, वहां से बंगाली विद्या गड़ा में हमारी चौथी पीढ़ी है। वही शक्तियां संन्यासी बाबा को मिलीं, वो वैराग्य लिए थे, संन्यास लिए थे, हमारे पिताजी ने भी संन्यास लिया था और प्रेमपुजारी चित्रकूट से दीक्षा ली।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *