शिक्षित लड़के लड़कियां खुद चुन रहे अपना जीवनसाथी, अंतरजातीय शादियों से शायद कम हो जातीय तनाव : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन दिनों शिक्षित लड़के और लड़कियां अपने जीवनसाथी खुद चुन रहे हैं जो पुराने सामाजिक मानदंडों की विदाई है। इसी क्रम में शीर्ष अदालत ने कहा कि अंतरजातीय शादियों से शायद जातीय और सामुदायिक तनाव में कमी आएगी। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हृषिकेश राय की पीठ ने कहा कि युवाओं को अपने बड़ों से खतरों का सामना करना पड़ता है और अदालतें इन युवाओं की मदद के लिए आगे आती रही हैं।
पीठ ने कहा कि पुलिस अधिकारियों के लिए आगे बढ़ने का रास्ता यही है कि वे जांच अधिकारियों की काउंसलिंग करें और सामाजिक रूप से संवेदनशील ऐसे मामलों से निपटने के लिए कुछ दिशानिर्देश और प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाएं। पीठ ने उक्त टिप्पणियां उस एफआइआर को रद करते हुए कीं जिसे कर्नाटक के बेलगावी जिले में एक लड़की के माता-पिता ने दर्ज कराई थी जिसने अपने मर्जी के लड़के से शादी कर ली थी।
इस मामले में लड़का और लड़की दोनों हिंदू हैं और उच्च शिक्षित हैं। शीर्ष अदालत ने अपने हालिया फैसले में उम्मीद जताई कि लड़की के माता-पिता शादी को स्वीकार करेंगे और न सिर्फ अपनी बेटी से बल्कि उसके पति से भी सामाजिक संवाद पुनर्स्थापित करेंगे।
पीठ ने कहा कि हमारे विचार से यही आगे बढ़ने का एक मात्र रास्ता है। जाति और समुदाय की आड़ में बेटी और दामाद को अलग-थलग करना शायद ही एक वांछित सामाजिक कवायद होगी। शीर्ष अदालत ने अपने पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि यह कहा गया है कि अगर दो बालिग शादी करने के लिए राजी हैं तो परिवार, समुदाय या कुल की सहमति लेना जरूरी नहीं है और दोनों बालिगों की सहमति को प्रधानता दी जानी चाहिए।
फ्रैंकलिन टेंपलटन की छह स्कीम बंद करने पर ई-वोटिंग वैध
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को फ्रैंकलिन टेंपलटन की छह म्यूचुअल फंड योजनाओं को बंद करने के मामले में ई-वोटिंग को वैध ठहराया है। साथ ही यह भी कहा है कि योजनाओं के यूनिट धारकों को राशि का वितरण जारी रहेगा। जस्टिस एसए नजीर और संजीव खन्ना की पीठ ने ई-वोटिंग प्रक्रिया पर कुछ यूनिट धारकों के विरोध को खारिज कर दिया।सुप्रीम कोर्ट ने दो फरवरी को आदेश दिया था कि फ्रैंकलिन टेंपलटन की छह म्यूचुअल फंड योजनाओं के यूनिट धारकों को तीन सप्ताह के भीतर 9,122 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाए।