जिला स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता गोष्ठी सम्पन्न पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरक शक्ति कम हो जाती है
( सिद्धार्थनगर )/जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबन्धन जागरूक करने हेतु जिलाधिकारी दीपक मीणा की अध्यक्षता एवं मुख्य विकास अधिकारी पुलकित गर्ग की उपस्थिति में लोहिया कला भवन में गोष्ठी का आयोजन किया गया।
जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबन्धन गोष्ठी के अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि धान की कटाई से पूर्व कम्बाइन होर्बेस्टर यंत्रों का क्रय कर ले। विभाग द्वारा कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। पराली जलाने से वायु प्रदूषण वाहनो के प्रयोग की अपेक्षा अधिक होता है। इसलिए पराली न जलाये। पराली को इकट्ठा कर पशुओं के चारा हेतु प्रयोग करे अथवा कृषि यंत्रों के माध्यम से पराली का प्रबन्धन करे। बाढ़ के दौरान फसलो में हुए क्षतिपूर्ति हेतु लेखपाल द्वारा सर्वे किया जा रहा है। 33 प्रतिशत से अधिक के नुकसान पर मानक के अनुसार मुआबजा दिया जायेगा। लेखपाल से सम्पर्क कर सर्वे करा ले किसी का भी छूटने न पाये। जनपद में धान क्रय केन्द्र स्थापित हो गये है। किसान जनसुविधा केन्द्र के माध्यम से अपना रजिस्टेशन करा ले बिना रजिस्टेशन के धान क्रय नही किया जायेगा।
उपकृषि निदेशक लाल बहादुर यादव ने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है जिससे पैदावार भी कम हो जाता है। वेस्ट डीकम्पोजर का प्रयोग करके पराली को खाद के रूप में तैयार कर फसलो में प्रयोग किया जा सकता है। पराली जलाने से पर्यावरण अधिक प्रदूषित होता है। कृषि वैज्ञानिक डा0 एस0के0मिश्रा द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन के बारे में विस्तृत रूप से किसानो को जानकारी दिया गया। इसके पश्चात किसानो को वीडियो के माध्यम से फसल अवशेष प्रबन्धन के बारे में रोटावेटर, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, रीवर सेबुल एम्बीप्लाउ आदि दिखाया गया।
इस अवसर पर उपरोक्त के अतिरिक्त जिला कृषि अधिकारी सी0पी0सिंह, जिला गन्ना अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी नन्हे लाल वर्मा, तथा दूर-दराज से आये किसान उपस्थित थे।