01 November, 2024 (Friday)

विभिन्न छात्र संघों ने कक्षा 10 और 12 के छात्रों के लिए विशेष परीक्षा का किया विरोध, पढ़ें डिटेल

2021: असम में ‘ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन’ (AASU) सहित कई छात्र संघों और विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने असम बोर्ड की 10वीं और 12वीं कक्षा के मूल्यांकन के लिए तैयार फॉर्मूले के एक खंड को हटाने की मांग की है। इस खंड के अनुसार, टीचर बनने या राज्य सरकार की नौकरी प्राप्त करने के इच्छुक स्टूडेंट्स को कोविड-19 की स्थिति में सुधार होने पर विशेष परीक्षा देनी होगी।

प्रदेश की सरकार ने 1 जुलाई को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि एजुकेशन डिपार्टमेंट द्वारा गठित दो विशेषज्ञ समितियों की रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन, असम (SEBA) और असम हायर सेकेंडरी एजुकेशन काउंसिल (AHSEC) के तहत 10वीं और 12वीं कक्षा के स्टूडेंट्स का एक रिकॉर्ड-आधारित मूल्यांकन किया जाएगा। इस खंड के अंतर्गत, शिक्षक बनने या राज्य सरकार की अन्य नौकरी हासिल करने के इच्छुक उम्मीदवारों को महामारी की स्थिति में सुधार होने के बाद, एक विशेष मैट्रिक या उच्चतर माध्यमिक परीक्षा देनी होगी। जहां भर्ती 10वीं और 12वीं के मार्क्स के आधार पर होती है, उसके लिए कैंडिडेट्स को स्पेशल एग्जाम में शामिल होना होगा।

बता दें कि राज्य के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने कहा था कि स्पेशल एग्जाम जरूरी है, ताकि इस वर्ष के 10वीं और 12वीं कक्षा के स्टूडेंट्स नौकरी चयन प्रक्रिया के लिए योग्यता के मूल्यांकन में पिछले या भविष्य के बैचों के बराबर हों। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया था कि उच्च कक्षाओं में दाखिले के लिए उम्मीदवारों को ऐसी किसी परीक्षा में भाग लेने की जरुरत नहीं होगी।

वहीं, विभिन्न छात्र संगठनों ने विशेष परीक्षा का विरोध किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के प्रमुख सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने इस खंड को पूर्ण रूप से अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि सरकार द्वारा गठित कमिटियों द्वारा मूल्यांकन प्रक्रिया की सिफारिश की गई है। इसके आधार पर बनी मार्कशीट के तहत स्टूडेंट्स के लिए उनके भविष्य के सभी मार्ग खुले होने चाहिए। हम सरकार से इस खंड पर फिर से विचार करने और इसे हटाने की मांग करते हैं। इसे लेकर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र भी भेजा जा चुका है। इसके अलावे, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया सहित अन्य छात्र संगठनों और विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इस इस खंड का विरोध करते हुए सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है।

 

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