18 April, 2025 (Friday)

‘धाकड़’ कंगना रनोट जल्द ‘इमरजेंसी’ पर बनाएंगी फिल्म

अभिनेत्री कंगना रनोट की इच्छा प्योर एक्शन फिल्म करने की थी, जो रजनीश रेजी घई द्वारा निर्देशित फिल्म ‘धाकड़’ से पूरी हो रही है। इस फिल्म के बारे में और निर्माता-निर्देशक बनने पर कंगना ने साझा किए अपने जज्बात…

आप ‘मणिकर्णिका: द क्वीन आफ झांसी’ तथा ‘रंगून’ में एक्शन कर चुकी हैं। विशुद्ध एक्शन फिल्म करने की तमन्ना कब से थी?

जैसी मेरी कद-काठी है तो मुझे लगता था कि मुझे एक्शन हीरोइन बनना चाहिए। उसके लिए मैंने काफी ट्रेनिंग भी ली। मार्शल आर्ट सीखा। फिर किक बाक्सिंग सीखी। ‘कृष’ में मुझे अच्छा रोल भी मिला था। उस फिल्म के बाद लगा था कि उसमें मेरा एक्शन देखकर इस तरह की फिल्म के ऑफर आएंगे, मगर वैसा नहीं हुआ। ‘थलाइवी’ के दौरान यह फिल्म ऑफर हुई। (हंसते हुए) मैंने सोचा यह फिल्म अब इस टाइम पर इस उम्र में, उस समय वजन भी बढ़ा हुआ था। एकदम से समझ नहीं आया कि क्या करूं। फिर मैंने फैसला किया कि मैं इसे करूंगी। इच्छा तो कब से थी ही।

‘थलाइवी’ के बाद इस किरदार में ढलने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी?

मैंने ‘थलाइवी’ के बाद एक साल का ब्रेक लिया। डाइटिंग करके वजन तो कम हो जाता है, लेकिन स्टैमिना बनाने में मुझे काफी समय लगा।

इंडस्ट्री में धाकड़ बनकर रह पाना कितना मुश्किल है?

ऐसा नहीं है कि मुश्किल है या आसान है। पर यही है कि आप सही करना चाहते हैं और सच्चाई का साथ देना चाहते हैं तो हर फील्ड में आपको मुश्किलें आएंगी। अगर मुझे अपने हिसाब से चलना है, सच्चाई, ईमानदारी की जिंदगी जीनी है तो ऐसे लोगों को तो मुश्किलें आती हैं।

धाकड़ रहने की कीमत भी चुकानी पड़ती है?

हां बिल्कुल। रोजाना मुझे न जाने कितनी चीजों से जूझना पड़ता है। अभी जैसे मिस्टर बच्चन (अमिताभ बच्चन) ने मेरी तारीफ में एक ट्वीट किया था, फिल्म की तारीफ करने के लिए। वो डिलीट करवा दिया गया। तो इस तरह की कई चीजें रोज होती हैं। कई लोग बहुत ज्यादा प्यार से मिलते हैं, बहुत अच्छी भावना रखते हैं, लेकिन वो मेरी फिल्म को सपोर्ट नहीं कर सकते। मेरे साथ काम नहीं कर सकते। अगर वो काम करेंगे तो बायकॉट हो जाएंगे। यह बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।

आपने वैरायटी के किरदार निभाए हैं, लेकिन कभी लगता है और बेहतर चीजें सामने आ सकती थीं?

नहीं, इनके (बॉलीवुड के) बस की बात तो नहीं है। साउथ या हालीवुड में अच्छी फिल्में बन रही हैं। यहां खाली थिएटर में भी इनकी फिल्म चलाएं तो लोग देख नहीं रहे हैं। मैंने इनके साथ बहुत पहले से ही काम करना बंद कर दिया था। मुझे इनके साथ काम करने का चार्म रहा नहीं। अगर होता तो निश्चित रूप से मैं सामने से जाकर इनके पास काम मांगती।

निर्माता बनने का फैसला भी कहीं न कहीं इससे जुड़ा रहा?

बिल्कुल, अभी मैंने एक नई एक्टर को लांच किया है (फिल्म ‘टीकू वेड्स शेरू’ में)। वो बहुत टैलेंटेड है। अगर आप देखें तो आडियंस सबसे ज्यादा तंग हो चुकी है। सोचा, हम लोग ही कुछ करते हैं। ‘धाकड़’ में मैंने खुद अपना पूरा एक्शन किया है।

फिल्म ‘इमरजेंसी’ बनाने के बारे में कैसे सोचा? आपने कहा कि इसे आपसे बेहतर कोई नहीं बना सकता…

देखिए हर एक निर्देशक के कुछ विषय होते हैं जिनमें वो ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। अब जैसे रेजी एक्शन का बहुत बड़ा माहिर है तो मेरी पालिटिक्स में बहुत रुचि है। बतौर निर्देशक मुझे लगा कि इस पर कोई फिल्म बनाऊं। हमारे देश का वो ऐसा एक्साइटिंग चैप्टर है जिसे इतिहास के पन्नों में दबा दिया गया। इतिहास में क्या अच्छा हुआ-क्या बुरा हुआ वो वक्त के साथ बदलता रहता है, लेकिन इस बात से इन्कार नहीं कर सकते कि वो (इंदिरा गांधी) बहुत पावरफुल महिला थीं। उनमें जो दम था, वो बतौर महिला मुझे बहुत एक्साइटिंग लगता है। इसकी शूटिंग हम जून में शुरू कर रहे हैं।

 

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