हीट आइलैंड के कारण सूखे रहे दिल्ली के कई इलाके, पढ़िये- बारिश को लेकर एक्सपर्ट की राय
हीट आइलैंड यानी कंक्रीट का जंगल अब मानसून की बारिश को भी प्रभावित करने लगा है। आलम यह है कि अधिक तापमान वाले इलाकों में कम जबकि कम तापमान वाले इलाकों में ज्यादा बारिश दर्ज हो रही है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अगर हरियाली की कीमत पर बड़ी- बड़ी इमारतों का खड़ा होना यूं ही जारी रहा तो भविष्य में दिल्ली को मानसून में भी निराश होना पड़ सकता है
कहीं अत्यधिक तो कहीं सामान्य बारिश भी नहीं
इस बार मानसून के दौरान उत्तरी दिल्ली में सामान्य से 97 फीसद अधिक बारिश दर्ज हुई है जबकि पूर्वी- उत्तर पूर्वी दिल्ली यानी यमुनापार के इलाकों में 32 से 65 फीसद, दक्षिणी दिल्ली में 15 और पश्चिमी दिल्ली में चार फीसद कम बारिश हुई है। क्षेत्रफल के हिसाब से भी दिल्ली के सभी नौ जिलों में बारिश में काफी अधिक अंतर देखने को मिल रहा है।
हीट आइलैंड यानी वे इलाके जहां हरित क्षेत्र अपेक्षाकृत बहुत कम और पक्के निर्माण बहुत ज्यादा होते हैं। इंडियन इंस्टीटयूट आफ ट्रापिकल मीट्रियोलाजी (आइआइटीएम) पुणे के वरिष्ठ विज्ञानी डा गुरफान बेग बताते हैं कि ऐसे इलाकों में तापमान अपेक्षाकृत ज्यादा रहने से गर्मी भी ज्यादा रहती है। अधिक गर्मी से वाष्पीकरण अधिक होता है। जब बादल बरसने के लिए आते हैं तो अधिक तापमान और गर्मी के कारण उनका बहुत सा पानी वाष्पीकरण के कारण उड़ जाता है और जल्द ही बरसकर उड़ जाते हैं। इसके वितरीत हरे भरे इलाकों में तापमान और गर्मी कम होने से वहां पर वाष्पीकरण की समस्या नहीं होती। ऐसे में बादल देर तक बरसते हैं।
स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान) महेश पलावत बताते हैं कि प्री मानसून सीजन में गर्जन वाले बादल ज्यादा बनते हैं। बहुत बार ये थोड़ा बहुत बरस भी जाते हैं। लेकिन साल दर साल मानसून के आगे खिसकने के कारण गर्जन वाले बादल भी अब प्री मानसून की बजाए मानसून के सीजन में सक्रिय होने लगे हैं। क्षमता अधिक नहीं होने के कारण जहां ये बादल बनते हैं, वहां बारिश कम रह जाती है।
जलवायू परिवर्तन भी बड़ा कारण
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डा. एम महापात्रा बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण दिल्ली एनसीआर ही नहीं बल्कि पूरे देश भर में मौसम और मानसून का ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। रिकार्डतोड़ गर्मी, बारिश और सर्दी की घटनाएं सामने आ रही हैं। स्थिति यह हो गई है कि मौसम चक्र भी बदलने लगा है और उसका स्वरूप भी। या तो उस मौसम का असर बहुत कम होता है या फिर बहुत ज्यादा। यह स्थिति सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन का ही असर है कि पिछले कुछ वर्षों में बारिश के दिन भले कम हो गए हों लेकिन कम समय में भी वर्षा अधिक हो रही है। पहले 100 मिमी बारिश तीन से चार दिनों में होती थी। अब हमें केवल पांच-छह घंटों में इतनी वर्षा मिल रही है।
जिला अभी तक कितनी बारिश सामान्य बारिश कम या ज्यादा
- मध्य दिल्ली 617.1 मिमी 437.8 मिमी 41 फीसद ज्यादा
- पूर्वी दिल्ली 297.8 मिमी 437.8 मिमी 32 फीसद कम
- नई दिल्ली 497.6 मिमी 310.5 मिमी 60 फीसद ज्यादा
- उत्तरी दिल्ली 677.7 मिमी 344.5 मिमी 97 फीसद ज्यादा
- उत्तर पूर्वी दिल्ली 152.5 मिमी 437.8 मिमी 65 फीसद कम
- उत्तर पश्चिमी दिल्ली 442.4 मिमी 303.7 मिमी 46 फीसद ज्यादा
- दक्षिणी दिल्ली 371.6 मिमी 437.8 मिमी 15 फीसद कम
- दक्षिणी पश्चिमी दिल्ली 482.1 मिमी 358.2 मिमी 35 फीसद ज्यादा
- पश्चिमी दिल्ली 366.5 मिमी 383.7 मिमी चार फीसद कम