Delhi Air Pollution: जानिये- दिल्ली और एनसीआर में अगले सप्ताह कैसा रहेगा वायु प्रदूषण का हाल
दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोगों को वायु प्रदूषण से शनिवार को भी राहत मिली।हालांकि, दिल्ली में शनिवार को एक बार फिर कई दिनों की तरह ही वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में दर्ज किया गया। वहीं, एक दिन पहले शुक्रवार को अनुकूल हवाओं की वजह से उसमें सुधार देखने को मिला था। दिल्ली में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 209 दर्ज किया गया। इससे पहले शुक्रवार को भी लगातार दूसरे दिन तेज हवा चलने से दिल्ली- एनसीआर का वायु प्रदूषण औंधे मुंह जा गिरा। मौसम विभाग और सफर इंडिया के अनुसार पश्चिमी विक्षोभ का असर खत्म हो जाने से आसमान अब साफ हो गया है। हवा की दिशा उत्तर पश्चिमी चल रही है और इसकी रफ्तार अभी अगले एक दो दिन तेज ही रहने की संभावना है। दूसरी तरफ शुक्रवार को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अनेक जगह बारिश भी हुई। इससे भी प्रदूषण छंटने में मदद मिली। बारिश और हवा के असर से दिल्ली एनसीआर में अभी प्रदूषण बहुत ज्यादा बढ़ने की संभावना भी नहीं है। कुल मिलाकर वायु प्रदूषण से राहत का दौर अगले सप्ताह भी राहत भरा रह सकता है।
दूसरी बार मिला साफ हवा में सांस लेने का मौका
नवंबर माह में लोगों को इतनी साफ हवा में सांस लेने का मौका इस सीजन में दूसरी बार मिला। खास बात यह कि दिल्ली एनसीआर के निवासियों के लिए ऐसा संयोग भी महज 10 दिनों में ही दोबारा बन गया। दिल्ली सहित एनसीआर के सभी शहरों का एयर इंडेक्स 200 से नीचे आ गया। अभी एक दो दिन और वायु प्रदूषण के नियंत्रण में ही रहने के आसार हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी एयर बुलेटिन के मुताबिक शुक्रवार को दिल्ली का एयर इंडेक्स 137 रहा। फरीदाबाद का 134, गाजियाबाद का 166, ग्रेटर नोएडा का 129, गुरुग्राम का 107 और नोएडा का 125 रहा। सभी जगह मध्यम श्रेणी में दर्ज की गई। शाम 5 बजे दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 54 जबकि पीएम 10 का स्तर 105 माइक्रो ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर दर्ज हुआ।
सीपीसीबी के मुताबिक इससे पहले दिल्ली में 17 नवंबर और उससे भी पहले छह अक्टूबर को एयर इंडेक्स मध्यम श्रेणी में रहा था। बीच में प्रदूषण का स्तर लगातार बिगड़ता चला गया। ज्ञात हो कि बृहस्पतिवार को दिल्ली का एयर इंडेक्स 302 था। हवा की रफ्तार 15 से 20 कि. मी. प्रति घंटे तक रहने के कारण शुक्रवार को इसमें 165 अंकों का सुधार हुआ। इससे आसमान फिर से नीला और वातावरण साफ नजर आया।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलने की घटनाएं भी केवल 136 दर्ज हुई और दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी तो महज 2 फीसद ही रह गई।