Delhi Air Pollution: आखिर हर साल होने वाली इस समस्या का प्रभावी ढंग से समाधान क्यों नहीं किया जाता?
दिल्ली के नौ क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्तर सोमवार को बहुत खराब श्रेणी यानी रेड जोन में रहा जो अत्यंत चिंताजनक है। यह स्थिति दर्शाती है कि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से हरियाणा व पंजाब में खेतों में पराली जलाए जाने को रोकने के प्रयास इस वर्ष भी विफल साबित हुए हैं। सर्दी के दिनों में राजधानी और उसके आसपास के इलाके के धुएं की चादर में ढक जाने का एक प्रमुख कारण इन राज्यों में पराली जलाया जाना है, लेकिन ये गंभीर बात है कि अब तक कोई हल नहीं निकल सका है।
हर साल हालात ढाक के तीन पात जैसे ही बन जाते हैं और इसके कारण दिल्लीवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस साल कोरोना के संक्रमण के कारण पराली का धुआं किस हद तक परेशानी बढ़ा सकता है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
प्रश्न यह उठता है कि आखिर हर साल होने वाली इस समस्या का प्रभावी ढंग से निराकरण क्यों नहीं किया जाता? आखिर क्यों इन राज्यों की लापरवाही का खामियाजा दिल्ली के लोगों को भुगतना पड़ रहा है? राजधानी में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में जुटी आम आदमी पार्टी सरकार के साथ ही अन्य संबंधित सरकारी एजेंसियों को पंजाब व हरियाणा राज्य सरकारों से इस प्रश्न का जवाब मांगना चाहिए। वहीं, केंद्र सरकार को भी इस मामले में संबंधित राज्यों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए। जब तक जिम्मेदार लोगों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक इस समस्या का समाधान होने में संदेह ही है।
पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन राज्यों में पराली जलाए जाने से रोकने के हरसंभव उपाय करने चाहिए। दिल्ली सरकार और दिल्ली के स्थानीय निकायों को हालात की गंभीरता को देखते हुए स्थानीय स्तर पर प्रदूषण के स्नोतों को खत्म करने में जुटना चाहिए, ताकि पराली के धुएं के कारण बिगड़ी स्थिति को कुछ हद तक संभाला जा सके।