कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की चुनौती के बीच दो नए टेस्ट किए गए विकसित
कोरोना वायरस (Covid-19) के नए वैरिएंट नई चुनौती पेश कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने इनसे मुकाबले और जांच की दिशा में तेजी लाने की कवायद में दो नए रैपिड डाइग्नोस्टिक टेस्ट विकसित किए हैं। एक टेस्ट से कोरोना के नए वैरिएंट की पहचान होगी तो दूसरे से उन बीमारियों के लक्षणों में अंतर करने में मदद मिलेगी, जो कोरोना संक्रमण सरीखे होते हैं।
टीकाकरण और इम्युनिटी के बीच के अंतर को पाटने में मदद कर सकता है यह टेस्ट
बॉयोइंजीनियरिंग पत्रिका में दोनों टेस्ट पर किए गए अध्ययन के नतीजों को प्रकाशित किया गया है। अमेरिका की मिनेसोटा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मार्क जे ओसबार्न ने कहा, ‘कोरोना का कारण बनने वाले सार्स-कोव-2 वायरस के खिलाफ कई वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है, जो बेहद आशाजनक हैं। हालांकि वैक्सीन की पहली खुराक के बाद इम्युनिटी बनने में महीनों का समय लग सकता है। यह नया टेस्टिंग प्लेटफार्म टीकाकरण और इम्युनिटी के बीच के अंतर को पाटने में मदद कर सकता है।’
कोरोना के नए वैरिएंट में कर सकता है अंतर
शोधकर्ताओं ने बताया कि पहली जांच रैपिड डाइग्नोस्टिक टेस्ट है। यह टेस्ट कोरोना के नए वैरिएंट में अंतर कर सकता है। इस टेस्ट को आजमाने के लिए न तो किसी विशेषज्ञ व्यक्ति और न ही किसी उपकरण की जरूरत पड़ती है। इसमें उसी तरह की तकनीक है, जिस तरह की तकनीक घर पर प्रेग्नेंसी की जांच में इस्तेमाल की जाती है। रैपिड डाइग्नोस्टिक टेस्ट से महज एक घंटे के अंदर नतीजा सामने आ जाता है। जबकि दूसरा टेस्ट उन बीमारियों के लक्षणों में अंतर करने में सक्षम है, जो कोरोना संक्रमण सरीखे होते हैं। इस टेस्ट से भी महज घंटेभर में नतीजा मिल सकता है।