सस्ती हो सकती है सीएनजी, किरीट पारिख समिति ने सरकार को दिया यह अहम सुझाव
आने वाले दिनों में सीएनजी की बढ़ी कीमत से आपको राहत मिल सकती है। दरअसल, किरीट पारिख समिति ने सीएनजी को जीएसटी के दायरे में लाए जाने तक इस पर लगाए जाने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती करने का सुझाव केंद्र सरकार को दिया है। अगर ऐसा होता है, देशभर में सीएनजी की कीमतें न सिर्फ कम होंगी बल्कि एक समान होंगी। इससे देशभर के लोगों को फायदा मिलेगा। गौरतलब है कि हाल के कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार दाम में उछाल आने से देश के कई शहरों में सीएनजी की कीमत पेट्रोल के बारबर पहुंच गई है। इससे आम लोगों पर महंगाई का बोझ बढ़ा है।
जीएसटी के दायरे में लाने का सुझाव
प्राकृतिक गैस की कीमत समीक्षा के लिए गठित पारिख समिति ने पिछले हफ्ते पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाना चाहिए। समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि हमारा मत है कि इस मसले पर राज्यों के बीच सहमति बनाने की जरूरत है। इस मकसद को हासिल करने के लिए राज्यों को राजस्व में किसी भी तरह की क्षति के एवज में पांच साल तक मुआवजे का प्रावधान किया जा सकता है। सहमति बनाने की प्रक्रिया अब शुरू की जानी चाहिए। प्राकृतिक गैस के साथ कच्चे तेल, पेट्रोल, डीजल एवं विमान ईंधन एटीएफ को जुलाई, 2017 में जीएसटी व्यवस्था लागू होने के समय से ही इस एकीकृत कर प्रणाली से बाहर रखा गया है। हालांकि, सीएनजी पर पहले से लागू केंद्रीय उत्पाद शुल्क, राज्य वैट कर और केंद्रीय बिक्री कर अब भी बरकरार हैं।
राज्य वसूलते हैं 24.5 प्रतिशत तक वैट
केंद्र सरकार सीएनजी पर 14 प्रतिशत की दर से उत्पाद शुल्क वसूलती है जबकि राज्यों में इस पर 24.5 प्रतिशत तक मूल्यवर्द्धित कर (वैट) लगा हुआ है। पारिख समिति सीएनजी को भी जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में है लेकिन इसके लिए राज्यों की सहमति लेनी जरूरी होगी। गुजरात जैसे गैस-उत्पादक राज्यों को यह डर सता रहा है कि वैट एवं अन्य शुल्कों को जीएसटी में समाहित कर दिए जाने पर उन्हें राजस्व का बड़ा नुकसान हो सकता है। इस आशंका को दूर करने के लिए समिति ने सुझाव दिया है कि जीएसटी में सीएनजी को लाए जाने तक सरकार केंद्रीय उत्पाद शुल्क की दर में कटौती कर सकती है ताकि उपभोक्ताओं पर प्राकृतिक गैस की ऊंची कीमतों के बोझ को कम किया जा सके।
कीमतों में कमी लाने के लिए भी सुझाव