उत्तराखंड के पानी पर होगा चीन का कब्जा! नेपाल बॉर्डर पर बना रहा भीमकाय बांध, जानिए पूरी डिटेल
चीन भारत के साथ तनातनी के लिए आमादा रहता है। इसी बीच चीन भारत की सीमा पर बांध बनाकर अपने कुत्सित इरादे जाहिर कर रहा है। वह भारत के साथ ‘जलयुद्ध’ की तैयारी तेज करने लगा है। इसके चलते अरुणाचल प्रदेश की सीमा के बाद अब चीन ने नेपाल-भारत और चीन के ट्राइजंक्शन पर एक विशाल बांध के काम को तेज कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ताजा सैटलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन साल 2021 में माबजा जांगबो नदी पर एक विशाल बांध बना रहा है, जो ट्राइजंक्शन से मात्र कुछ ही किमी की दूरी पर है। इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड के पास बन रहे चीन के इस बांध से भविष्य में ड्रैगन इस इलाके में पानी पर पूरा नियंत्रण स्थापित कर सकता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चर्चित ओपन सोर्स इंटेलिजेंस @detresfa_ ने अपनी ताजा सैटलाइट तस्वीरों के आधार खुलासा किया है कि चीन का यह बांध उत्तराखंड के कालापानी इलाके के काफी पास में स्थित है। चीन इस डैम को अपनी बुरांग काउंटी में बना रहा है। यही नहीं इसी बांध के पास ही चीन एक हवाई अड्डा भी बना रहा है जो चीनी वायुसेना के लिए काफी कारगर साबित हो सकता है। तस्वीरों से पता चलता है कि बांध के निर्माण का काम लगातार जारी है।
कालापानी का इलाका रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण
सैटलाइट तस्वीरों के जानकार @detresfa_ ने कहा कि इस परियोजना से चीन भविष्य में टेंशन बढ़ा सकता है।चीन जिस इलाके में अपना बांध बना रहा है, वह पूरा कालापानी का इलाका रणनीतिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है। भारत-नेपाल और चीन का यह ट्राइजंक्शन भविष्य में किसी भी जंग में बहुत अहम भूमिका निभा सकता है। यही नहीं कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को लेकर भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद है।
अरुणाचल के पास महाकाय बांध बना रहा चीन
शी जिनपिंग सरकार इस बांध को यारलुंग सांगपो नदी पर बना रही है जो ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी है। चीन का यह बांध मेडोग सीमा पर बनाया जा रहा है जो अरुणाचल से बहुत करीब है। भारत इस महाकाय बांध को लेकर बहुत ही चिंतित है और पूर्वोत्तर में अपने बांध के निर्माण कार्य को तेज कर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक चीन इस बांध के जरिए ब्रह्मपुत्र नदी के पानी की धारा को बदल सकता है। ब्रह्मपुत्र नदी न केवल पूर्वोत्तर बल्कि बांग्लादेश के लिए भी लाइफलाइन है। इससे या तो अरुणाचल और असम में पानी की कमी हो जाएगी या इतना पानी आ जाएगा कि कई इलाके बाढ़ में डूब सकते हैं।