25 November, 2024 (Monday)

भोपाल और इंदौर में ‘पुलिस आयुक्त’ होंगे कप्तान, कलेक्टरों से छीने कई न्यायिक अधिकार

मध्य प्रदेश के भोपाल और इंदौर में गुरुवार से पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू कर दी गई है। अब दोनों शहरों में पुलिस के मुखिया वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के स्थान पर पुलिस आयुक्त होंगे। यह प्रणाली लागू करने वाला मध्य प्रदेश देश का 17वां राज्य है। इससे पहले देश के 77 शहरों में पुलिस को न्यायिक अधिकार (आयुक्त प्रणाली) दिए जा चुके हैं। दोनों शहरों में पुलिस आयुक्त को मजिस्ट्रियल शक्तियां और कानून-व्यवस्था से जुड़े अन्य अधिकार दिए गए हैं। ये कलेक्टर के पास होते हैं। धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रैली आदि निकालने के लिए अनुमति अब पुलिस आयुक्त के स्तर से दी जाएगी। पहले ये सारे अधिकार कार्यपालिक दंडाधिकारी यानी तहसीलदार से लेकर अनुविभागीय दंडाधिकारी के पास थे। जिलाबदर, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई भी पुलिस करेगी। पुलिस आयुक्त पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) स्तर के अधिकारी को बनाया जाएगा। गुरुवार को गृह विभाग ने पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी।

दोनों शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू, गृह विभाग ने जारी की अधिसूचना

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 नवंबर को आबादी और भौगोलिक दृष्टि को ध्यान में रुखते हुए भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया था। शिवराज सिंह ने इस बारे में राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाकर इसे अंजाम तक पहुंचाया। गृह मंत्री डा. नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से चर्चा में कहा कि आज का दिन पुलिस के लिए ऐतिहासिक है। पुलिस को वे सभी अधिकार दिए गए हैं, जो कानून-व्यवस्था की स्थिति को बरकरार रखने के लिए आवश्यक हैं। पुलिस को पैरोल पर छोड़ने, गैरकानूनी जहर या एसिड बेचने पर कार्रवाई करने, प्रतिबंधित संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियों से रोकने, वाहनों की गति को नियंत्रित करने सहित विभिन्न धाराओं में मजिस्ट्रियल शक्तियां दी गई हैं।

भयमुक्त वातावरण रहेगा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा क‍ि मध्य प्रदेश शांति का टापू रहा है। कानून-व्यवस्था दुरुस्त बनाए रखने, नागरिकों की सुरक्षा के साथ अपराधी तत्वों पर कठोर अंकुश के लिए पुलिस आयुक्त प्रणाली अधिक प्रभावी होगी। भौगोलिक विस्तार और तकनीक से उत्पन्न हुई कानून व्यवस्था को देखते हुए आयुक्त प्रणाली लागू की गई है। इससे भयमुक्त वातावरण बनाया रखा जा सकेगा।

बदलाव को ऐसे समझें

अब कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने पर लाठीचार्ज करने, शांति भंग होने की आशंका पर धारा 144 लागू करने या दंगे के हालात पर क‌र्फ्यू लगाने जैसे फैसले के लिए पुलिस को एसडीएम या कलेक्टर की ओर नहीं देखना होगा। पुलिस आयुक्त मौके पर ही इसका निर्णय ले सकेंगे। नई व्यवस्था में पुलिस आयुक्त के पास अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के सारे अधिकार होंगे।

मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित

पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने के लिए भोपाल और इंदौर के नगरीय थाना क्षेत्रों को मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित किया गया है। भोपाल में 2011 की जनगणना के अनुसार आबादी 18,86,100 और इंदौर में 21, 93, 664 है। भोपाल में 38 और इंदौर में 36 थाने पुलिस आयुक्त के अंतर्गत आएंगे।

भोपाल में थाने (कुल 38)

कोतवाली, तलैया, श्यामला हिल्स, शाहजहांनाबाद, कोहेफिजा, टीला जमालपुरुा, हनुमानगंज, मंगलवारा, गौतमनगर, निशातपुरा, गांधीनगर, खजूरी सड़क, छोला मंदिर, बैरागढ़, टीटी नगर, एमपी नगर, हबीबगंज, कमला नगर, शाहपुरा, कोलार रोड, अशोका गार्डन, मिसरोद, ऐशबाग, जहांगीराबाद, स्टेशन बजरिया, गोविंदपुरा, पिपलानी, बागसेवनिया, कटारा हिल्स, चूनाभट्टी, अवधपुरी, रातीबड़, अरेरा हिल्स, अयोध्या नगर, महिला थाना, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण थाना, यातायात और अपराध थाना।

ये थाने नहीं आएंगे

बैरसिया, गुनगा, नजीराबाद, ईटखेड़ी, सूखी सेवनिया, बिलखिरिया, परवलिया सड़क।

इंदौर में थाने (कुल 36)

कोतवाली, एमजी रोड, तुकोगंज, संयोगितागंज, छोटी ग्वालटोली, पलासिया, विजय नगर, एमआइजी, लसूडि़या, खजरुाना, कनाडि़या, तिलकनगर, परदेशीपुरा, हीरा नगर, आजाद नगर, तेजाजी नगर, राऊ, बाणगंगा, जूनी इंदौर, रावजी बाजार, भंवरकुआं, सराफा, पंढरीनाथ, छत्रीपुरा, मल्हारगंज, सदर बाजार, एरोड्रम, अन्नपूर्णा, राजेन्द्र नगर, द्वारिकापुरी, चंदन नगर, गांधी नगर, महिला थाना, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण थाना, यातायात थाना, अपराध थाना।

ये नहीं आएंगे

महू, मानपुर, किशनगंज, बड़गोंदा, सिमरोल, खुड़ेल, सांवेर, चंद्रावतीगंज, हातौद, देपालपुर, गौतमपुरा, बेटमा, क्षिप्रा।

इन अधिनियमों में दिए अधिकार

– पुलिस अधिनियम 1861: मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में पुलिस आयुक्त के अधीन पुलिस प्रशासन रहेगा। पुलिस आयुक्त पुलिस महानिदेशक के सामान्य नियंत्रण एवं परिवेक्षण में रहेंगे।

– बंदी अधिनियम 1900: जेल में बंद कैदियों को पैरोल पर और आपातकाल में पैरोल बोर्ड की अनुशंसा पर सशर्त छोड़ा जा सकेगा।

– विष अधिनियम 1919: गैर कानूनी जहर या तेजाब रखने अथवा बेचने वालों की तलाशी पर से बरामद जहर या तेजाब जब्त किया जा सकेगा।

– विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारुण अधिनियम 1967 : केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित संगठनों को गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए मेट्रोपोलिटन क्षेत्र में उनकी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जा सकेगा।

 मोटर यान अधिनियम 1988 का 59 : वाहनों की पार्किग अथवा उनके रुकने के स्थान स्थानीय अधिकारियों से समन्वय करके निर्धारित किए जा सकेंगे। वाहनों की गति सीमा निर्धारित की जा सकेगी। लोक सुरक्षा के हित में या उनकी सहूलियत के लिए या किसी सड़क या पुल की स्थिति को देखते हुए वाहनों की अधिकतम गति निर्धारित करने के लिए उपयुक्त ट्रैफिक साइन लगाए जा सकेंगे। यातायात प्रतिबंधित करने या फिर सशर्त अनुमति दी जा सकेगी।

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