प. बंगाल विधानसभा चुनाव: तारीखों को लेकर EC को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग द्वारा तय की गई तारीख पर आपत्ति जताने वाली याचिका सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में खारिज कर दी गई। पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में चुनाव को लेकर आयोग ने तारीखों की घोषणा की थी। आयोग के इसी फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस याचिका में चुनाव आयोग के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हाल ही में भाजपा में शामिल हुए शुभेंदु अधिकारी और सीबीआई को भी पक्ष बनाया गया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की बेंच ने की।
देश के चार राज्य और एक केंद्रशासित प्रदेश में चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। इसके खिलाफ एक एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की जिसपर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई की गई। याचिका में कहा गया कि पश्चिम बंगाल के साथ चार और राज्यों में चुनाव हैं, लेकिन वहां मतदान का कार्यक्रम इतना विस्तृत नहीं है।
चुनाव आयोग ने बिना किसी उचित कारण के पश्चिम बंगाल में चुनाव की अवधि बाकी राज्यों से अधिक रखी है। याचिका में राज्य में चुनाव प्रचार के दौरान जय श्रीराम के नारे लगाए जाने पर भी आपत्ति जताई गई है। इसके अनुसार इस तरह के नारे लगाना धार्मिक आधार पर वोट मांगना है। सुप्रीम कोर्ट खुद इसके खिलाफ फैसला दे चुका है। याचिकाकर्ता ने चुनाव के दौरान राजनीतिक कारणों से सीबीआई के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया है।
बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव प्रक्रिया पर फैसला लेना चुनाव आयोग के तहत आता है। आयोग को चुनाव प्रक्रिया पर फैसला लेने, उसकी निगरानी करने, उस पर नियंत्रण रखने का अधिकार दिया गया है। इसी के तहत आयोग किसी क्षेत्र में सुरक्षा और दूसरी परिस्थितियों का आकलन करते हुए चुनाव की अवधि समेत दूसरे निर्णय लेता है।