गुणों से भरपूर है बरगद, प्रकृति के सृजन का प्रतीक है बरगद
आगरा । ताजनगरी के हर कोने में एक शिवालय है। आगरा की रक्षा शिव चारों कोनों से करते हैं। इसी तरह शिव के प्रतीक कहे जाने वाले बरगद के पेड़ शहर के कई क्षेत्रों में अपनी छांव, अपनी ज्योतिषीय गुणों, अपने औषधीय गुणों से लोगों की रक्षा कर रहे हैं। इनमें से एक बरगद का पेड़ भोले बाबा की बगीची नुनिहाइ में दुर्गा नगर क्षेत्र में भोला बाबा की बगीची में करीब 70 साल पहले लगाया गया था। बरगद त्रिमूर्ति का प्रतीक है, इसकी छाल में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना जाता है। यह प्रकृति के सृजन का प्रतीक है। इसकी पूजा करने से संतान प्राप्ति होती है। इस पेड़ की आयु काफी होती है, इसलिए वट सावित्री के दिन महिलाएं अपने स्वजनों की दीर्घायु की कामना इस पेड़ की पूजा करने के साथ करती हैं। पूजा के लिए आसपास की कालोनियों से सैंकड़ों महिलाएं यहां आती हैं। ज्योतिषाचार्य डा. शोनू मेहरोत्रा बताती हैं कि इस पेड़ की छाया सीधे मन पर असर करती है और मन को शांत बनाए रखती है। शनि पीड़ा से मुक्ति के लिए इसकी जड़ में पानी चढ़ाया जाता है। इसकी पत्तियों और डालियों से निकलने वाले दूध का तांत्रिक क्रियाओं में प्रयोग होता है। इसकी छाल और पत्तों से औषधियां भी बनाई जाती हैं। इसकी जड़ ग्रहों की शांति में काम आती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार बरगद के वृक्ष पर मंगल का आधिपत्य होता है। इसलिए मंगल ग्रह की शांति के लिए बरगद की जड़ धारण करने का विधान है। मंगलिक दोष के कारण किसी जातक के विवाह में बाधा आ रही हो तो वट वृक्ष की जड़ से मंगल दोष की शांति होती है। वट वृक्ष की जड़ धारण करने से कुंडली का अंगारक दोष शांत होता है। भूमि, भवन, संपत्ति संबंधी कार्यों में रूकावट आ रही हो तो वट वृक्ष की जड़ धारण करें। वट वृक्ष की जड़ पहनने से कर्ज मुक्ति जल्द हो जाती है।