मामूली न समझें इस रत्न को, पापी ग्रह राहु को कर सकता है कंट्रोल
हर किसी की जिंदगी में कभी ना कभी एक ऐसा समय आता है, जब वह परेशानियों से घिर जाता है. तमाम कोशिशों के बावजूद वह समस्याओं से दूर नहीं हो पाता. लेकिन ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसी समस्याओं का तोड़ नवग्रहों की शांति को बताया है. ऐसा कहा जाता है कि, ग्रह से जुड़े रत्न को धारण करने से काफी हद तक लाभ पाया जा सकता है. ये रत्न कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से एक ऐसा ही रत्न राहु का भी है. जिसे धारण करने से कुंडली में राहु मजबूत होने के साथ आपके जीवन की कई सारी समस्याओं को दूर करता है. हालांकि, इस रत्न को धारण करने के कई नियम भी होते हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
कौन सा रत्न पहनें और क्या हैं नियम?
यदि आपकी कुंडली में भी राहु कमजोर है तो इसके लिए गोमेद रत्न धारण करें. इसके लिए कुछ नियम भी बताए गए हैं. जिसके तहत गोमेद रत्न हमेशा चांदी या अष्टधातु की अंगूठी में ही जड़वाना चाहिए. वहीं इस रत्न को 6 रत्ती से कम धारण करना सर्वोत्तम माना गया है.
रत्न धारण से पहले ध्यान रखें ये बातें
आपको बता दें कि, हर रत्न को धारण करने के लिए विशेष नक्षत्र देखा जाता है. वहीं गोमेद रत्न को शतभिषा, स्वाति और आर्द्रा नक्षत्र में ही पहनना शुभ माना जाता है. लेकिन, ध्यान रहे धारण करने से पहले रत्न को शुद्ध करना जरूरी है. इसके लिए रत्न को गंगाजल, दूध, शहद और चीनी में भिगोकर रखें.
रत्न को कैसे करें धारण?
किसी भी रत्न को धारण करने से पहले उससे जुड़े मंत्र का जाप करना चाहिए. गोमेद को धारण करते समय ‘ॐ रां राहवे नमः’ मंत्र का 21 से लेकर 108 बार जप करें. इसके बाद इसे कनिष्का उंगली में पहनें.
गोमेद रत्न धारण करने के फायदे
-इस रत्न को पहनने से नकारात्मकता दूर होती है.
-आपके जीवन और घर पर राहु का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता.
-इस रत्न को धारण करने से शत्रुओं का नाश होता है.
-गोमेद रत्न को पहनने से मानसिक तनाव दूर होता है.
-आपकी सफलता के बीच या किसी कार्य में आने वाली रुकावट दूर होती है.