आक्सीजन संयंत्रों की होगी माक ड्रिल, तीसरी लहर के पहले आक्सीजन आपूर्ति प्रणाली को दुरुस्त करने में जुटी सरकार
ओमिक्रोन वैरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इस महीने के अंत तक आक्सीजन संयंत्रों और उससे संबंधित प्रणाली की माक ड्रिल कर उसकी रिपोर्ट देने को कहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि देश के सभी आक्सीजन उत्पादन संयंत्र, आक्सीजन स्टोरेज, आक्सीजन आपूर्ति प्रणाली और आक्सीजन कंसंट्रेटर चालू स्थिति में हों।
कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने के निर्देश
इसके साथ ही इन्हें चलाने के लिए कर्मचारियों के लिए जरूरी प्रशिक्षण का काम भी इस महीने के अंत तक पूरा करने को कहा गया है। गौरतलब है कि दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की भारी कमी सामने आई थी। साथ ही प्रशिक्षित कर्मचारियों के अभाव में आक्सीजन कंसंट्रेटर होते हुए भी उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सका था।
उपायों की समीक्षा की
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों के साथ बैठक कर अस्पतालों में लगाए जा रहे आक्सीजन उत्पादन संयंत्रों, उसके स्टोरेज और आपूर्ति व्यवस्था की समीक्षा की। आक्सीजन सप्लाई से संबंधित उपकरणों की सप्लाई के बावजूद कई राज्यों में जिला अस्पतालों में उनके नहीं पहुंचने पर नाराजगी जताई।
आक्सीजन उपकरणों को चालू हालात में लाने के निर्देश
उन्होंने राज्यों को इसकी कड़ाई से निगरानी और सभी जिलों में आक्सीजन उपकरणों को इस महीने तक चालू हालात में लाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन उपकरणों के चालू स्थिति में होने की जांच के लिए माक ड्रिल करें और उसकी रिपोर्ट संबंधित पोर्टल पर तत्काल अपलोड करें।
3,236 आक्सीजन उत्पादन प्लांट स्थापित
दरअसल, पीएम केयर फंड व अन्य स्रोतों से राज्यों में कुल 3,783 मीट्रिक टन क्षमता के 3,236 आक्सीजन उत्पादन प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही राज्यों को पीएम केयर फंड से एक लाख 14 हजार आक्सीजन कंसंट्रेटर भी दिए गए हैं। इसके अलावा 1,374 अस्पतालों में मेडिकल गैस पाइपलाइन सप्लाई सिस्टम भी लगाए जा रहे हैं और लिक्विड आक्सीजन को रखने के लिए 958 स्टोरेज टैंक भी बनाए गए हैं।
आनलाइन निगरानी की जाएगी
भूषण ने साफ किया कि ये सभी उपकरण 31 दिसंबर के पहले चालू स्थिति में होने चाहिए। इनके चालू स्थिति में होने की रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड होने के बाद उनकी आनलाइन निगरानी की जाएगी। इस संबंध में कोई भी दिक्कत आने की स्थिति में राज्यों को सीधे एचएलएल इंफ्राटेक सर्विसेज, डीआरडीओ और सेंट्रल मेडिकल सर्विसेज सोसाइटी से संपर्क करने के लिए कहा गया है।