कोरोना की तीसरी लहर को लेकर रिपोर्ट के बीच स्कूलों को खोले जाने के संबंध में क्या है विशेषज्ञों की राय, जानें
जाइडस कैडिला की कोविड-19 रोधी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिलने से बच्चों का टीकाकरण किए जाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जाइडस कैडिला की वैक्सीन वयस्कों और बच्चों दोनों को लगाई जा सकती है। हालांकि बच्चों के टीकाकरण को लेकर अभी कोई फैसला नहीं आया है… स्कूलों को खोले जाने के संबंध में विशेषज्ञ भी अपने सुझाव देने लगे हैं। आइए जानते हैं स्कूलों को खोले जाने के संबंध में विशेषज्ञों की ओर से क्या बातें कही जा रही हैं।
नरेश त्रेहन ने किया आगाह, कहा- थोड़ा करें इंतजार
मेदांता के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ नरेश त्रेहन ने रविवार को स्कूलों को फिर से खोलने के खिलाफ आगाह किया है। उन्होंने रविवार को समाचार एजेंसी एएनआइ से बातचीत में कहा कि सरकार को दो-तीन महीने तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक बच्चों को कोविड-19 वैक्सीन का टीका नहीं लग जाता। उन्होंने यह भी कहा कि जब बच्चों को कोविड वैक्सीन की डोज लगेंगी तब उनकी सुरक्षा बहुत बढ़ जाएगी। उनकी सुरक्षा बढ़ाने के बाद धीरे-धीरे स्कूल खोले जाएं। जैसे-जैसे बच्चों को वैक्सीन की डोज लगेगी उसके बाद वे स्कूल जा सकते हैं।
बरतनी होगी कड़ी सावधानी
एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ. नवनीत विग का कहना है कि जब बच्चे स्कूल जाने लगेंगे तो बहुत सावधानी बरतनी होगी। यह सावधानी उसी तरह की होनी चाहिए जैसे बिना वैक्सीन लगवाए लोग कोरोना को लेकर बरत रहे हैं। यह सही है कि बच्चे घर पर उकता गए हैं लेकिन स्कूल जाने में खतरा भी ज्यादा है। बच्चों को अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है। ऐसे में हमें ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी। अगर सरकार चाहती है कि स्कूलों में बच्चे सुरक्षित रहें तो इस पर भी ध्यान देना होगा कि कोविड पॉजिटिविटी रेट 0.5 फीसद के ऊपर ना जाने पाए।
टीकाकरण के साथ, सावधानी भी जरूरी
सफदरजंग अस्पताल के प्रिवेंटिव कम्युनिटी मेडिसिन के विशेषज्ञ डा. जुगल किशोर ने हाल ही में कहा था कि आने वाले दो महीनों में कई त्योहार पड़ रहे हैं। पिछले साल भी त्योहारों के दौरान मामले बढ़ थे। केवल कोविड-19 रोधी वैक्सीन ही संक्रमण से बचाव नहीं करेगी। टीका कोविड से होने वाली मौतों को कम करेगा। ऐसे में हमें अक्टूबर तक बेहद सजगता बरतने की दरकार है। बीते दिनों एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने भी सतर्कता बरतने और अधिक-से-अधिक टीकाकरण का सुझाव दिया था।
एनटीएजीआइ के फैसले का इंतजार
मालूम हो कि जायडस कैडिला की कोरोना रोधी वैक्सीन के जरिए टीकाकरण के संबंध में राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआइ) जल्द एक बैठक करने वाला है। एनटीएजीआइ के चेयरमैन डा. एनके अरोड़ा ने बीते दिनों कहा था कि एक अनुमान के मुताबिक देश में 12-18 वर्ष आयुवर्ग के किशोरों की संख्या लगभग 12 करोड़ है। इनमें से लगभग एक करोड़ पहले से किसी न किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं। इस बैठक में ZyCoV-D वैक्सीन के लाभार्थियों की प्राथमिकता को लेकर चर्चा होनी है।
यदि तीसरी लहर आई तो खतरा ज्यादा
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन (एनआईडीएम) की ओर से गठित एक विशेषज्ञ समिति ने सितंबर और अक्टूबर के बीच कभी भी कोरोना की तीसरी लहर के आने की आशंका जताई है। समिति ने टीकाकरण की रफ्तार को तेज करने का सुझाव भी दिया है। समिति आगाह कर चुकी है कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को वयस्कों के समान ही जोखिम होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी संख्या में बच्चों के संक्रमित होने की स्थिति में बच्चों के अस्पताल, डॉक्टर और उपकरणों की मांग उपलब्धता के अनुरूप नहीं हो सकती है।