28 November, 2024 (Thursday)

नक्‍सलियों के खिलाफ ऑपरेशन प्रहार पार्ट-3 की तैयारी, जानें क्‍या है केंद्र और राज्‍य सरकार की रणनीति

छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिला बस्तर में नक्सलियों के खात्मे के लिए ऑपरेशन प्रहार पार्ट-3 शुरू करने की तैयारी की जा रही है। केंद्र और राज्य सरकार के इस संयुक्त आपरेशन में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों के बीच सामंजस्य बिठाकर नक्सलियों को उनके आधार इलाके में घेराबंदी करने की योजना है। बस्तर में ऑपरेशन ग्रीन हंट और ऑपरेशन हाका के तहत नक्सलियों को बैकफुट में धकेलने के बाद ऑपरेशन प्रहार शुरू किया गया है।

यह है योजना 

ऑपरेशन प्रहार वन और प्रहार टू में सुरक्षाबलों को काफी कामयाबी मिली है। बीजापुर की घटना के बाद प्रहार-3 के तहत नक्सलियों के इलाके में जाकर उन्हें नेस्तनाबूद करने की योजना है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो नक्सलियों के टॉप लीडरों को घेरने के लिए जंगल में फोर्स को सीधे उतारने का ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है।

ऑपरेशन प्रहार वन और प्रहार टू में सुरक्षाबलों को काफी कामयाबी मिली है। बीजापुर की घटना के बाद प्रहार-3 के तहत नक्सलियों के इलाके में जाकर उन्हें नेस्तनाबूद करने की योजना है। पुलिस अधिकारियों की मानें तो नक्सलियों के टॉप लीडरों को घेरने के लिए जंगल में फोर्स को सीधे उतारने का ब्लू प्रिंट तैयार किया जा रहा है।

यह है बौखलाहट की वजह

सरकार ने बस्तर को नक्सल मुक्त करने के लिए बस्तर बटालियन का गठन कर इसमें स्‍थानीय लड़ाकों को शामिल किया है। आत्मसमर्पण करने के बाद फोर्स का हिस्सा बने पूर्व नक्सलियों से नक्सलियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसी वजह से नक्सली आत्मसमर्पण नीति का विरोध कर रहे हैं। नक्सलियों की बौखलाहट की असल वजह उनके कोर इलाकों में नए कैंपों की स्थापना है।

110 गांवों में स्थापित किए गए कैंप 

बस्तर के 110 गांवों में कैंप स्थापित किए गए हैं जिससे नक्सलियों की दहशत कम हुई है। ऑपरेशन प्रहार के दौरान बीते चार साल में फोर्स के जवानों ने 286 नक्सलियों को ढेर किया है। वहीं नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत चार साल के दौरान करीब तीन हजार नक्सलियों की गिरफ्तारी की गई है। 15 सौ नक्सली समर्पण भी कर चुके हैं।

एंटी नक्सल ऑपरेशन होगा तेज 

नारायणपुर जिले के एसपी मोहित गर्ग ने बताया कि एंटी नक्सल ऑपरेशन तेज किया जा रहा है। नक्सलियों के खात्मे के लिए जवान पूरी मुस्तैदी के साथ सर्च अभियान में निकल रहे हैं। वहीं सुकमा एसपी केएल ध्रुव ने बताया कि नक्सलियों घेराबंदी के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। कोई भी आपरेशन बिना व्यापक रणनीति के नहीं चल सकता है।

नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन 

सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ समय-समय पर कई ऑपरेशन चलाए हैं। इसकी शुरआत साल 2005 में सलवा जुड़ूम अभियान से शुरू की गई थी। यह अभियान तो जनता ने शुरू किया था लेकिन ग्रामीणों के विरोध की वजह से सुरक्षा बलों को नक्सलवाद के खिलाफ काफी सफलता मिली। साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुड़ूम पर बैन लगा दिया। हालांकि इसके पहले ही फोर्स का बेस ग्रामीणों के बीच बन चुका था।

ऑपरेशन ग्रीन हंट भी रहा था सफल 

साल 2009 में पुलिस ने बस्तर में ऑपरेशन ग्रीन हंट शुरू किया था। ग्रीन हंट के तहत सूचनातंत्र को मजबूत कर के नक्सल प्रभावित इलाकों में दबिश देने की रणनीति तय की गई थी। यह अभियान भी काफी सफल रहा थी। नक्सलवाद सड़कों से सिमटकर जंगल में छिप गया। नक्सली गाहे बगाहे हमला तो करते रहे लेकिन बड़े हमलों की उनकी हिम्‍मत जाती रही। ऑपरेशन ग्रीन हंट के बाद अलग अलग कई अभियान चलाए गए थे।

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