सीआइसी की सीबीआइ को लेकर तल्ख टिप्पणी, कहा- छूट की आड़ में हर सूचना छिपा नहीं सकती जांच एजेंसी
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने अहम आदेश में कहा है कि सीबीआइ महज यह कह कर किसी सूचना नहीं छिपा सकती कि उसे सूचना का अधिकार (आरटीआइ) के तहत छूट प्राप्त है। सीआइसी के मुताबिक आरटीआइ कानून के तहत सूचना देने से इन्कार करने पर सीबीआइ को इसका औचित्य भी बताना होगा।
जांच या अभियोजन पर क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, बताना होगा
सूचना आयुक्त वीएन सरना ने कहा कि आरटीआइ कानून में सूचना देने से छूट संबंधी धारा 8(1)(एच) का हवाला देने में सीबीआइ इस बात को स्पष्ट करे कि सूचना सार्वजनिक होने से जांच या अभियोजन पर क्या प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। बता दें कि आरटीआइ कानून की धारा 8(1)(एच) सरकारी प्राधिकारी को ऐसी सूचना सार्वजनिक नहीं करने की छूट देती है, जिससे जांच या अभियोजन प्रभावित हो। आरटीआइ कार्यकर्ता ने अर्जी में चेन्नई स्थित एमएसएमई डेवलेपमेंट इंस्टीट्यूट के मामले में सीबीआइ की प्राथमिक जांच की स्थिति (स्टेट्स) के बारे में जानकारी मांगी थी।
सूचना देना नियम, न देना अपवाद
दिल्ली हाई कोर्ट ने भगत सिंह के मामले में स्पष्ट तौर पर कहा था कि किसी सरकारी अधिकारी द्वारा सूचना देने से इन्कार करने में महज छूट का नियम बताना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह भी बताना होगा कि यह नियम किस प्रकार से लागू होता है, क्योंकि सूचना दिया जाना नियम है और उसे न देना अपवाद।यह है आम चलनसीबीआइ कई मामलों में महज छूट की धारा का हवाला देकर सूचना देने से इन्कार तो कर देती है, लेकिन यह नहीं बताती कि सूचना सार्वजनिक किए जाने से जांच या अभियोजन पर किस प्रकार से प्रभाव पड़ेगा।
सरना ने कहा कि सीपीआइओ ने अपने जवाब में बिना यह बताए आरटीआइ कानून की धारा 8(1)(एच) का सहारा लिया है कि सूचना सार्वजनिक होने से जांच या अभियोजन पर क्या असर होगा। आरटीआइ कार्यकर्ता एस. हरीश कुमार की दलील थी कि जांच की स्थिति की जानकारी से जांच प्रक्रिया पर असर नहीं पड़ेगा। इससे सहमत होते हुए सरना ने सीबीआइ के सीपीआइओ को निर्देश दिया कि वह आवेदक को संशोधित जवाब दे, जिसमें यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि इस मामले में आरटीआइ कानून की धारा 8(1)(एच) किस प्रकार से लागू होती है। साथ ही जांच की स्थिति की सूचना देने को भी कहा।