पंजाब में कैप्टन ही रहेंगे कांग्रेस के कप्तान, सिद्धू खेमे में चर्चा- हमारे हाथ में क्या आया
अमृतसर। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच बने सियासी द्वंद को लेकर कांग्रेस बनाम सिद्धू खेमा पशोपेश में है। सिद्धू की शहर से दूरी ने उनकी गुमशुदगी के पोस्टर तो लगवा ही दिए हैं, साथ ही शहर में ‘कैप्टन इक ही हुंदा है’ के होर्डिंग लगने पर चर्चा छिड़ गई है। वो यह कि हाईकमान ने स्पष्ट कर दिया है कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुआई कैप्टन ही करेंगे। ऐसे में कैप्टन से लंबे समय से सियासी रण लड़ रहे सिद्धू खेमे में खासी चर्चा बनी हुई है कि अगर इतना कुछ करने के बाद भी अगुआई कैप्टन की ही रहनी है, तो हमारे हाथ में क्या आया। मंत्रालय छोड़ कैप्टन से लड़ाई मोल ली, ताकि हाईकमान उनकी जगह हमें रिप्लेस कर सके, पर हुआ उसके विपरीत। रिप्लेसमेंट हुई नहीं, उलटा यह साफ कह दिया कि कांग्रेस की कप्तानी कैप्टन अमरिंदर ही करेंगे।
दो झंडे लगा बने ‘बलिदानी’
केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए कृषि सुधार कानूनों के मामले में किसानों की हिमायत कर सियासी बलिदान दिखाने के लिए हर कोई बेताब है। इसी कवायद में नवजोत ङ्क्षसह सिद्धू ने 25 मई को किसानों के पक्ष और कृषि सुधार कानूनों के विरोध में काला दिवस मनाते हुए अपनी पटियाला और अमृतसर की कोठियों पर काला झंडा लगा दिया। अब सिद्धू की यह कवायद कांग्रेस नेताओं को ही हजम नहीं हुई। कांग्रेस का बड़ा ग्रुप सिद्धू विरोधी है। सिद्धू के काला दिवस मनाने के बाद एक जगह इकट्ठे हुए कांग्रेसियों में यह चर्चा छिड़ गई कि क्या एक दिन के लिए काले झंडे लगाकर सिद्धू ने किसानी मामले में अपना बड़ा बलिदान कर दिया? हमारे सांसद गुरजीत ङ्क्षसह औजला पिछले छह महीने से जंतर-मंतर पर कृषि कानूनों के विरोध में दिन-रात धरने पर बैठे हैं और सिद्धू दो झंडे लगाकर खुद को बलिदानी दिखाने में लगे हुए हैं।