क्यों धधक रहे हैं उत्तराखंड के जंगल? नैनीताल की कॉलोनी तकी कॉलोनी तक पहुंची आग
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने अब भीषण रूप ले लिया और आग की लपटें नैनीताल की हाई कोर्ट कॉलोनी तक पहुंच गई हैं। आग पर काबू पाने के लिए नैनीताल प्रशासन ने वन विभाग के कर्मचारियों और सेना के जवानों को बुलाया है
सांस लेने में लोगों को हो रही है मुश्किल
- नैनीताल में लड़ियाकांटा क्षेत्र के जंगल में भी आग लगी हुई है। जिसकी वजह से नैनीताल से भवाली जाने वाली सड़क पर धुआं छाया हुआ है। स्थानीय लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है।
- पीटीआई के मुताबिक एक निवासी ने बताया, “आग ने द पाइंस के पास स्थित एक पुराने और खाली घर को अपनी चपेट में ले लिया है। इससे हाई कोर्ट कॉलोनी को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन यह खतरनाक रूप से इमारतों के करीब पहुंच गई है। शाम से आग पर काबू पाने के प्रयास किए जा रहे हैं।”
नवंबर 2023 से उत्तराखंड के जंगलों में सुलगी है आग
- उत्तराखंड के वन विभाग ने कहा है कि 24 घंटों में राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में जंगल में आग लगने की 26 और गढ़वाल क्षेत्र में पांच घटनाएं सामने आईं। आग के कारण 33.34 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल 1 नवंबर से राज्य में जंगल में आग लगने की कुल 575 घटनाएं सामने आई हैं, जिससे 689.89 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ और राज्य को 14 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
नैनी झील में नौकायन पर आग की वजह से लगा प्रतिबंध आग के पाइंस इलाके के पास स्थित सेना के संवेदनशील ठिकानों तक पहुंचने की भी खबर है। जंगल में लगी आग के कारण नैनीताल जिला प्रशासन ने नैनी झील में नौकायन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- आग बुझाने के लिए नैनीताल प्रशासन ने 42 कर्मियों को तैनात किया है। नैनीताल के प्रभागीय वन अधिकारी चन्द्रशेखर जोशी ने एजेंसी को बताया, “हमने आग बुझाने के लिए मनोरा रेंज के 40 कर्मियों और दो वन रेंजरों को तैनात किया है।”
Uttarakhand Forest Fire: क्यों जल रहे हैं उत्तराखंड के जंगल?
- उत्तराखंड में हर साल जंगलों में आग लगने की खबर सामने आती है। इसका सबसे बड़ा कारण सर्दियों के मौसम में कम बारिश और बर्फबारी होना है। बारिश और बर्फबारी की कमी होने की वजह से जंगलों में पहले पर्याप्त नमी की कमी हो जाती है, जिसकी वजह से गर्मियों के सीजन में तापमान बढ़ता है और आग लगने की संभावना बढ़ जाती है।
- कुछ एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि जंगल में आग लगने की वजह कई बार मानव जनित ही होती है। कई बार गांव के लोग जंगल में जमीन पर गिरी पत्तियों और घास में आग लगा देते हैं। जो जंगलों में नमी को कम करता है और नए घास भी नहीं उगने देता है।
- उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने का एक बड़ा कारण चीड़ की पत्तियां भी हैं। असल में उत्तराखंड में करीब 16 से 17 फीसदी जंगल चीड़ के हैं। चीड़ की पत्तियां और छाल से निकलने वाला रसायन, रेजिन ज्वलनशील होते हैं,जिससे आसानी से लग जाती है।