काशी और साउथ अमेरिका के छात्र भारतीय ज्ञान पर करेंगे मंथन, MOU हुआ साइन
वाराणसी : भारतीय संस्कृति और संस्कृत का डंका अब दुनिया में बजेगा. स्पेन, म्यांमार के बाद अब साउथ अमेरिका से संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने समझौता किया है. इस समझौते के तहत काशी और साउथ अमेरिका के रिसर्चर्स एक दूसरे के बीच कल्चर गैप को खत्म करेंगे. सोमवार को इसके लिए भारत में स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और साउथ अमेरिका के सेंट्रो लैटिनो अमेरिकानो डी एस्टुडियोस वेदिको के बीच एकेडमिक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया है.
इस समझौते के तहत अब सेंट्रो लैटिनोअमेरिकानो डी एस्टुडियोस वेदिको के स्टूडेंट्स भारत के वैदिक परंपरा, संस्कृत और काशी की संस्कृति को सहेजेंगे. यह समझौता दोनों देशों के बीच की दूरी को भी और कम करेगा. इस समझौते के तहत दोनों संस्थानों के कल्चरल रिसर्च और उनके पेपर, लाइब्रेरी, एग्जीबिशन को साझा करेंगे
काशी और साउथ अमेरिका के बीच कम होगी दूरी
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि इस समझौते से दोनों ही संस्थान के स्टूडेंट्स और रिसर्चर्स को फायदा होगा. इसके अलावा, भारतीय ज्ञान और संस्कृति को भी लोग विदेशों में समझ सकेंगे. वैसे तो कई विदेशी स्टूडेंट्स यहां अलग अलग जगहों पर वैदिक ज्ञान, संस्कृत और कर्मकांड की पढ़ाई के लिए आते हैं. इस समझौते के बाद वह सीधे तौर पर हमसे जुड़ पाएंगे.
संयुक्त कमेटी का होगा गठन
विश्वविद्यालय प्रशासन इस समझौते के क्रियान्वयन के लिए एक संयुक्त समिति की स्थापना करेगी, जो दोनों स्थानों के अकादमिक संसाधनों पर चर्चा कर उसे साझा करने पर मदद करेगी.
समझौते से होंगे ये फायदे
-इस समझौते से दोनों संस्थानों के छात्रों को अकादमिक आदान-प्रदान की सुविधा मिलेगी.
-इसके अलावा समझौते में सहयोगात्मक अनुसंधान और शोध निष्कर्षों को साझा करने को प्रोत्साहित किया जाएगा.
-इतना ही नहीं, पुस्तकालय सामग्री और प्रकाशनों सहित अकादमिक संसाधनों का आदान-प्रदान होगा.
-इसके अलावा संयुक्त डिग्री कार्यक्रम विकसित करने की संभावना का पता लग सकेगा. इसका फायदा दोनों संस्थानों के छात्रों को भविष्य में मिल सकता है.