11 May, 2024 (Saturday)

कब है गंगा सप्तमी? पुष्य नक्षत्र और रवि योग में होगी पूजा

गंगा सप्तमी का पावन पर्व आने वाला है. गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की उत्पत्ति ब्रह्म देव के कमंडल से हुई थी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मां गंगा की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इस तिथि को गंगा सप्तमी के नाम से जानते हैं. इस दिन गंगा जयंती मनाते हैं. हालांकि इस तिथि को गंगा का अवतरण पृथ्वी पर नहीं हुआ था. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि इस साल गंगा सप्तमी के दिन पुष्य नक्षत्र, वृद्धि योग और रवि योग में मां गंगा की पूजा की जाएगी. हालांकि उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा. आइए जानते हैं कि गंगा सप्तमी किस दिन है? गंगा पूजा का शुभ समय क्या है?

कब है गंगा सप्तमी 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल 14 मई दिन मंगलवार को 02 बजकर 50 एएम पर वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि लग रही है, जो 15 मई दिन बुधवार को सुबह 04 बजकर 19 एएम तक है. उदयातिथि के अनुसार, गंगा सप्तमी का पावन पर्व 14 मई मंगलवार को मनाया जाएगा.

गंगा सप्तमी 2024 पूजा मुहूर्त
14 मई को गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त करीब पौने 3 घंटे का है. उस दिन आप मां गंगा की पूजा सुबह 10 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 39 मिनट के बीच कभी भी कर सकते हैं.

रवि योग, पुष्य नक्षत्र और वृद्धि योग में होगी गंगा पूजा
गंगा सप्तमी के दिन 3 शुभ योग रवि योग, वृद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं, वहीं पुष्य और अश्लेषा नक्षत्र है. 14 मई को रवि योग सुबह 05:31 एएम से 01:05 पीएम तक है, वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग 01:05 पी एम से अगले दिन 15 कई को 05:30 एएम तक रहेगा. वृद्धि योग सुबह में 07:26 एएम से पूरे दिन है. पुष्य नक्षत्र प्रात:काल से लेकर दोपहर 01:05 पी एम तक है, उसके बाद से अश्लेषा नक्षत्र है.

गंगा सप्तमी पर बनने वाले 3 योग और 2 नक्षत्र शुभ हैं. गंगा पूजा के समय वृद्धि योग पुण्य फल में वृद्धि करेगा, वहीं रवि योग आपके सभी दोषों को दूर कर सकता है. सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं. वहीं पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा कहा जाता है, जिसके देवता देव गुरु बृहस्पति और स्वामी शनि देव हैं. पुष्य नक्षत्र भी शुभ फलदायी माना जाता है.

गंगा सप्तमी का महत्व
गंगा सप्तमी के दिन गंगा में स्नान करने और उनकी पूजा करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं. मां गंगा के पावन स्पर्श से मन और शरीर शुद्ध हो जाता है. मां गंगा मोक्ष देने वाली हैं. ऐसी मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके संबंध में राजा भगीरथ की प्रसिद्ध कथा भी है.

राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए कठोर तप से ब्रह्म देव और भगवान शिव को प्रसन्न किया था. ब्रह्म देव मां गंगा को पृथ्वी पर भेजन के लिए मान गए, लेकिन गंगा का वेग इतना अधिक था, जिसे पृथ्वी संभाल नहीं सकती थी.

इस वजह से राजा भागीरथ ने तप करके शिव जी को प्रसन्न किया और उनसे अपनी जटाओं में गंगा को समाहित करने की विनती की, ताकि जब गंगा उनकी जटाओं से होकर पृथ्वी पर अवतरित हों तो पृथ्वी पर उनका वेग कम हो जाए और तबाही न आए. वैशाख शुक्ल सप्तमी को मां गंगा ब्रह्म देव के कमंडल से निकलकर शिव जी की जटाओं में समा गईं और शिव जी ने उनको जटाओं से बांध लिया. इस वजह से वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि को गंगा की उत्पत्ति का दिन मानते हैं.

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