आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने और 25 करोड़ के मुआवजे की मांग पर SC आज करेगा सुनवाई
आज यानी 7 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट एक 94 वर्षीय महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। दरअसल, वर्ष 1975 में आपातकाल को असंवैधानिक घोषित करने के खिलाफ यह याचिका है। वीना सरीन नाम की महिला ने अपनी इस याचिका में उन अधिकारियों से 25 करोड़ का मुआवजा मांगा है, जो इस आपातकाल लागू कराने वाले अधिनियम में शामिल थे। जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ वीना सरीन की याचिका पर आज इस याचिका पर सुनवाई करेगा।
वीना सरीन ने कहा है कि उन्होंने, उनके दिवंगत पति और परिवार ने आपातकाल के दौरान किए गए अत्याचारों के पूरा जीवन अत्यधिक पीड़ा और दुख में गुजारा है। इसकी भरपाई के लिए उन्होंने यह याचिका दायर की है। सरीन ने कहा कि जून, 1975 में जब देश में आपातकाल की घोषणा की गई थी, तब उनके परिवार को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। उन्हें अपनी जान बचाने के लिए देश से बाहर जाना पड़ा।
उन्होंने बताया कि दिल्ली के करोल बाग और कनाट प्लेस में उसके पति की ज्वेलरी की दुकानें थी, जिसे प्रशासन ने सीज कर दिया था और सारे सामान उठा ले गए थे। सरीन ने कहा है कि उनके पति ने 25 साल की कड़ी मेहनत से यह व्यवसाय खड़ा किया था जो पलभर में खत्म हो गया।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें और उनके पति को बहुत डराया धमकाया था। उनकी चल और अचल संपत्तियां भी जब्त कर ली गई थी। सरीन ने कहा कि उनके पति यह दबाव सह नहीं पाए और उनकी मृत्यु हो गई। आपातकाल के दौरान उनके परिवार के साथ जो ज्यादती की गई, पति की मौत के बाद वह उसके खिलाफ अकेले लड़ती रहीं। फिलहाल वह अपनी बेटी के साथ देहरादून में रहती हैं।
हाई कोर्ट के आदेश पर कुछ अचल संपत्तियां मिलीं
सरीन ने दिसंबर, 2014 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया है, जिसमें अदालत ने उनके पति के खिलाफ चल रही कार्यवाही को खत्म कर दिया था। उन्होंने कहा है कि प्रशासन ने उनके पति से करोड़ों रुपये का सामान जब्त किया था, जो उन्हें अभी तक नहीं मिला है। इस साल हाई कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें कुछ अचल संपत्तियां को मिली हैं, लेकिन चल संपत्तियां नहीं मिली।