अब पशुपालकों को होगा बंपर मुनाफा, इस तरीके से केवल बछिया ही लेगी जन्म
बलिया: अब जहां आवारा पशुओं से परेशान किसानों को राहत मिलेगी, तो वहीं पशुपालकों को भी खूब मुनाफा होगा. सरकार की इस योजना का लाभ पशुपालक लेकर अपनी आय को दोगुनी करेंगे. बताते चलें कि एक खास सीमन जिसका दाम ₹1200 हुआ करता था घटकर 300 हुआ और अब ₹100 में उपलब्ध है. पशु एक्सपर्ट की मानें तो खास तौर से बलिया में गिर और साहिवाल देसी नस्ल की गायों का पालन ज्यादातर होता है. इसलिए इन गायों का सीमन राजकीय पशु चिकित्सालय में उपलब्ध है. कुछ आसान प्रक्रिया करने के बाद सिर्फ ₹100 में इसका लाभ लेकर पशुपालक अपनी आय को दोगुनी कर सकते हैं. इसमें यह वादा किया जाता है कि 90% बछिया ही जन्म लेगी.
राजकीय पशु चिकित्सालय नगर बलिया के उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. एस.डी द्विवेदी ने लोकल 18 को बताया कि वर्तमान में जो बछड़े हैं यह कहीं न कहीं समस्या के कारण बन रहे हैं, जिसके लिए गोआश्रय स्थल खोले गए. जिसमें निराश्रित पशुओं को रखा जा रहा है, लेकिन लगातार इनकी संख्या को कम करने के लिए सरकार ने निर्णय लिया कि सेक्स शॉर्टेड सीमेन (sex shorted semen) का प्रयोग किया जाय.
92% की गारंटी केवल बछिया ही लेगी जन्म
इसमें सरकार 92% की गारंटी देती है कि कृत्रिम गर्भाधान इससे कराया जाए तो बछिया ही जन्म लेगी. इसमें अभी बहुत अच्छी सफ़लता मिल रही है. सबसे खास बात तो यह है कि इससे कहीं न कहीं पशुपालक बहुत खुश हैं, कइयों को तो इसका लाभ मिल चुका और इसके माध्यम से पशुपालकों की आय लगातार दोगुनी होती जा रही है.
सिर्फ ₹100 है कीमत
पहले इस सीमेन की कीमत बहुत ज्यादा ₹1200 था, लेकिन सरकार ने इसमें सब्सिडी दिया तो 300 रुपया हो गया. अब इसकी कीमत सिर्फ 100 रुपया है. यह पैसा सीधे सरकार के खाते में जमा कराना होता है. बलिया में देसी गायों का पालन ज्यादा हो रहा है. जिसमें गिर और साहीवाल नस्ल शामिल हैं और इन दोनों नस्लों का सीमन राजकीय पशु चिकित्सालय नगर बलिया में मौजूद है.
बहुत आसान है ये प्रक्रिया
इस प्रक्रिया में ज्यादा कुछ नहीं करना होता है. पशुपालक केवल अपना नाम लिखवाएंगे, आधार कार्ड देंगे उसके बाद उनके पशु के कान में टैग लगाया जाएगा, फिर रजिस्ट्रेशन होगा. अंत में पशुपालक का मोबाइल नंबर, आधार कार्ड, पशु के कान में लगे टैग का नंबर नोट किया जाएगा. शुल्क जमा करने के बाद कृत्रिम गर्भाधान कर दिया जाएगा. सरकार का यह प्रयास बहुत सफल है. तमाम पशुपालक इसके लाभ ले चुके हैं.