22 November, 2024 (Friday)

सपा की रैली में क्यों भीड़ हो जाती है बेकाबू, क्यों तोड़ देती है बैरिकेडिंग?

लखनऊ : लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान यूं तो रैली में अलग अलग रंग देखने को मिले, लेकिन सबसे ज्‍यादा चर्चा में समाजवादी पार्टी की रैलियां रहीं, जिसमें अखिलेश यादव पहुंचे थे. चर्चा में इसलिए क्‍योंकि, अक्‍सर सपा कार्यकर्ता बैरिकेड तोड़ते देखते गए. पुलिस से उनकी हल्‍की झड़प भी कहीं-कहीं हुई. लाठीचार्ज तक हुआ. नतीजतन पार्टी की रैलियां तय समय से थोड़ा लेट भी शुरू होतीं. खुद अखिलेश को मोर्चा संभालना पड़ता और सपाईयों से उन्‍हें कहना पड़ता कि शांत रहें. ज्‍यादातर छठे और सातवें चरण की रैलियों में ऐसे वाक्‍ये देखने को मिले.

अखिलेश यादव ने एक यूट्यूबर को दिए इंटरव्‍यू के दौरान इसको लेकर बात की. अखिलेश ने अपनी रैलियों में आने वाली भारी भीड़ को कंट्रोल करने को लेकर कहा कि इतनी बड़ी भीड़ को कंट्रोल करने की जरूरत नहीं है. एक फेज में वोटिंग होनी चाहिए थी. एक बार में वोट पड़ जाते, सब शांति से अपने घर चले जाते.

अखिलेश कहते हैं, कार्यकर्ता अपने ढंग से नेता को बताने का प्रयास करता है कि वो आपके साथ है. वह इतनी जिम्‍मेदारी से जुड़ा हुआ है कि कभी-कभी लगता है कि उनकी क्रिएटिव‍िटी आउट ऑफ द वे जा रही है. कई बार उन्‍हें मना भी करते हैं. उन्‍होंने शरीर पर मेरे टैटू बना रखे हैं और इसकी संख्‍या बढ़ती जा रही है, इसलिए मैंने सबको बुलाया और समझाया कि देखो ये बात गलत है. कल तुम्‍हारा मन बदल गया तो ये टैटू कैसे हटओगे. उनके पास ईडी, सीबीआई पहुंच गई तो समझो वो पक्‍का पकड़े जाएंगे. उनको तो मिटाने और भागने का मौका भी नहीं मिलेगा.

अखिलेश मानते हैं कि इस लोकसभा चुनाव के कैंपेन या रणनीति में जो सबसे बड़ी खामी उन्‍हें दिखती है कि वह बहुत ज्‍यादा सपा कार्यकर्ताओं की ट्रेनिंग नहीं करा पाए. वह कहते हैं कि ‘अगर मैं करा पाता तो चीजें और भी बेहतर होती हमारे लिए. मसलन वर्कर्स को बूथ पर कैसे काम करना है. पॉलिटिकल पार्टी के किसी प्रोग्राम में कैसे बिहेव करना है. अगर ये एक्‍सरसाइज कर ली होती तो हमें और आराम व मदद मिली होती’.

कार्यकर्ताओं के रैलियों में बैरिकेड तोड़ने को लेकर उन्‍होंने कहा कि मुझे डर लगता है कि पांचवें फेज तक कहीं बैरिकेडिंग ज्‍यादा नहीं टूटी, लेकिन मैं देख रहा हूं कि छठे और सातवें चरण में जो प्रेशर है, जहां पुलिस कम है, हमारे लोग जो मंच बनाते हैं, उसमें विजिबिलिटी कम होती है. अगर विजिबिलिटी ही नहीं होगी तो वर्कर आपको देखेगा कैसे. और अगर नेता नहीं दिखेगा तो वो एक्‍शन शुरू कर देता है’.

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