वायु प्रदूषण से 23 राज्यों के 100 से अधिक शहरों की हालत खराब, केंद्र सरकार ने उठाए ये कदम
खराब आबोहवा की समस्या अकेले दिल्ली-एनसीआर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के 23 राज्यों के 100 से ज्यादा शहर इससे ग्रसित हैं। बावजूद इसके राज्यों की इसे निपटने में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। यह स्थिति तब है, जब इसका सीधा प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने इससे निपटने और राज्यों की भागीदारी बढ़ाने को लेकर एक नई योजना पर काम शुरू किया है। प्रदूषण के खिलाफ छिड़ी इस मुहिम के तहत बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों को अतिरिक्त वित्तीय और तकनीकी मदद मुहैया कराई जाएगी। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस योजना पर इसलिए भी काम शुरू किया है, क्योंकि राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के तहत वर्ष 2024 तक हवा को साफ करने का लक्ष्य रखा है।
प्रदूषण के स्तर को घटाने वाले राज्यों को मिलेगी अतिरिक्त मदद
इसके तहत पीएम 10 और पीएम 2.5 में करीब 30 फीसद तक कमी लाना है, जो राज्यों के सक्रिय जुड़ाव के बगैर संभव नहीं है। यही वजह है कि इस पूरी मुहिम में राज्यों की भूमिका को बढ़ाने की तैयारी है। राज्यों को मिलने वाली वित्तीय मदद में बढ़ोत्तरी का भी भरोसा दिया जाएगा। हालांकि, राज्यों को यह अतिरिक्त मदद उनके काम-काज और हवाओं की गुणवत्ता में सालाना दर्ज होने वाले बदलाव के आधार पर दी जाएगी। देश के इन शहरों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर सरकार इसलिए भी चिंतित है, क्योंकि वह अभी दिल्ली-एनसीआर की चुनौती से जूझ रही है।
प्रदूषण की साल भर की स्थिति के आधार पर होगा आकलन
हाल ही इस स्थिति से निपटने के लिए मंत्रालय को आयोग का गठन करना पड़ा है। वह ऐसी स्थिति और भी किसी दूसरे राज्यों या शहर में निर्मित नहीं होने देना चाहती है। मंत्रालय ने यह सक्रियता उस समय दिखाई है, जब प्रदूषण के खिलाफ छिड़ी इस मुहिम में राज्यों का रुख लगातार सुस्त बना हुआ है। स्थिति यह है कि पिछले सालों में प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र ने राज्यों को पर्याप्त वित्तीय मदद दी थी, लेकिन ज्यादातर राज्यों में कोई काम नहीं हुआ। मंत्रालय के मुताबिक, इस पैसे से राज्यों को अपने यहां हवा की गुणवत्ता को जांचने के लिए जगह-जगह उपकरण लगाने है, ताकि हवा में प्रदूषण के स्तर के बढ़ने के समय और वजहों की पता चल सके। लेकिन राज्यों को जिस तरह से काम करना था, वह नहीं किया।
इस बीच प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन गंभीर बनती जा रही है। गौरतलब है कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से हर साल राज्यों को पर्यावरण के संरक्षण के लिए वित्तीय मदद दी जाती है। साथ ही विकास कार्यो से प्रभावित हुए वन क्षेत्र को फिर से विकसित करने के लिए कैंपा फंड से भी मदद दी जाती है।