25 December, 2024 (Wednesday)

जानें- क्‍यों हो रहा है जी-20 के बहाने सऊदी अरब का विरोध, दो दिन बाद होना है आयोजन

आगामी 21 नवंबर को जी-20 देशों का शिखर सम्‍मेलन शुरू हो रहा है। कोरोना काल में शुरू हो रहे इस शिखर सम्‍मेलन में पहली बार दुनिया के 20 देश एक वर्चुअल मंच पर शिरकत करने जा रहे हैं। इस शिखर सम्‍मेलन के दौरान उठने वाले मुद्दों के केंद्र में वैश्विक महामारी कोविड-19 के अलावा कई दूसरे मुद्दे भी जरूर होंगे। क्‍लाइमेट चेंज पर जी-20 के रिपोर्ट कार्ड के सामने आने के बाद इस पर भी चर्चा होने की संभावना काफी बढ़ गई है। इसके अलावा कोविड-19 की वजह से पटरी से उतरी अर्थव्‍यवस्‍था को दोबारा पटरी पर लाने के उपाय भी इस सम्‍मेलन में तलाशे जाएंगे। आपको बता दें कि सऊदी अरब पहली बार इस सम्‍मेलन की मेजबानी कर रहा है। इस सम्‍मेलन के जरिए सऊदी अरब की निगाह विश्‍व की दूसरी उभरती आर्थिक शक्तियों के साथ अपने संबंधों को सुधारने पर जरूर होगी।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने दी बहिष्‍कार की धमकी

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक यमन में जारी युद्ध में सऊदी अरब की भूमिका और अपने देश के अंदर मानवाधिकारों के हनन को लेकर कई बार उसको तीखी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। यही वजह है कि इस शिखर सम्‍मेलन के शुरू होने से पहले ही इसके खिलाफ होने वाले प्रदर्शन की तैयारी शुरू होने लगी है। जेलों में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के समर्थक और रिश्‍तेदारों ने इसके बहिष्‍कार की भी अपील की है। विश्‍व स्‍तर पर इस मंच की अहमियत को जानते हुए ही इन लोगों ने अपने विरोध के लिए ये समय चुना है।

विरोध में अमेरिकी सांसद

ह्यूमन राइट्स वाच ने हाल ही में कहा गया था कि सऊदी अरब खुद को एक समाज सुधारक के तौर पर पेश करता है लेकिन उसके यहां पर महिलाओं का उत्‍पीड़न किया जाता रहा है। वहीं 45 अमेरिकी संसद सीनेटरों ने भी सऊदी अरब के मानवाधिकार उल्‍लंघन का मामला उठाते हुए इस सम्‍मेलन में शिरकत न करने की अपील की है। इस संसद सदस्‍यों ने उपराष्‍ट्रपति माइक पोंपियो को इसके लिए एक पत्र भी लिखा है। इन सांसदों की मांग है कि सऊदी अरब को पहले जेल में बंद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को रिहा करना चाहिए, यमन में सऊदी अरब की दखल भी बंद होनी चाहिए और पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्‍या की जवाबदेही तय होनी चाहिए।

जी-20 वूमेंस समिट

गौरतलब है कि कुछ ही दिन पहले सऊदी अरब ने जी-20 वूमेंस समिट का भी आयोजन किया था। इसके जरिए सऊदी अरब ने लैंगिक समानता का संकेत दिया था। इसमें महिलाओं को मिले अधिकारों के बारे में भी बताया गया था। आपको बता दें कि हाल के कुछ वर्षों में सऊदी अरब में महिलाओं को लेकर बड़े बदलाव देखे गए हैं। सिनेमा को खोलने की अनुमत‍ि, मैच देखने की अनुमति, गाड़ी चलाने की अनुमति, वोट देने का अधिकार, संगीत के कार्यक्रमों को देखने के लिए महिलाओं को अनुमति देना शामिल है।

जी20 के सदस्य

​​​​​​​​​​​​अर्जेंटीना, आस्‍ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रिपब्लिक ऑफ कोरिया, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ

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