चप्पे-चप्पे की मिल सकेगी हाई रिजोल्यूशन वाली इमेज, ऐसी होगी अमेरिका-भारत की ‘निसार’ सेटेलाइट
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा विकसित किए जा रहे सिंथेटिक अपर्चर रडार (निसार) सेटेलाइट के 2022 में लांच किए जाने की संभावना है। इस संयुक्त मिशन के लिए देशों के बीच वर्ष 2014 में समझौता हुआ था। दुनिया की ये पहली ऐसी रडार इमेजिंग सेटेलाइट होगी जो एक ही साथ दो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करेगी। इतना ही नहीं ये दुनिया की सबसे महंगी अर्थ इमेजिंग सेटेलाइट भी होगी। इस लिहाज से ये कई मायनों में बेहद खास भी होगी।
ये सेटेलाइट रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट होगी, जो पृथ्वी की प्राकृतिक संरचनाओं और उनकी प्रकिृति को समझने में सहायक साबित होगी। डेढ़ अरब डॉलर की लागत से बनने वाली इस सेटेलाइट से जाहिरतौर पर पहले के मुकाबले अधिक हाई रिजोल्यूशन वाली तस्वीरें हासिल की जा सकेंगी जिनसे पृथ्वी के ऊपर मौजूद बर्फ के अनुपात के बारे में सही जानकारी हासिल हो सकेगी। इस सेटेलाइट का एक खास पहलू ये भी है कि इसको धरती के पारिस्थितिकी तंत्र की गड़बड़ी, बर्फ की की परत के ढहने, भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरों सहित इस ग्रह की कुछ सबसे जटिल प्राकृतिक प्रक्रियाओं को देखने और मापने के लिए तैयार किया गया है।
किसी भी तरह की आपात स्थिति में जैसे सुनामी या भूंकप आने या फिर भूस्ख्लन होने की सूरत में इस सेटेलाइट से ताजा तस्वीरें कुछ ही देर में आसानी से ली जा सकेंगी। इससे मिली तस्वीरों से वैज्ञानिकों को पृथ्वी की जटिलता को समझने का मौका भी मिलेगा। दोनों देशों के बीच इसको लेकर हुए करार के मुताबिक नासा एल बैंड सिंथेटिक एपरेचर रडार (SAR), हाईरेट टेलिकम्यूनिकेशन सब सिस्टम फॉर साइंटिफिक डाटा, जीपीसी रिसीवर, सॉलिड स्टेट रिकॉर्डर और पेलोड डाटा सब-सिस्टम उपलब्ध करवाएगा। वहीं इसरो सेटेलाइट बस, एस बैंड सिंथेटिक एपरेचर रडार, लॉन्च व्हीकल और इससे जुड़ी सेवा उपलब्ध करवाएगा। वहीं इसमें लगा मैशन रिफ्लेक्टर एंटीना को नॉर्थरॉप ग्रुमन कंपनी मुहैया करवाएगी।
इस सेटेलाइट को सन सिंक्रोनस ऑर्बिटर या हिलियोसिंक्रोनस ऑर्बिटर में स्थापित किया जाएगा। ये कक्षा इमेजिंग सेटेलाइट, रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट के अलावा स्पाई सेटेलाइट और मौसम के बारे में जानकारी लेने वली सेटेलाइट के लिए बेहतर मानी जाती है। इस कक्षा की इस अहमियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इस पोजिशन पर सर्फेस एरिया के ठीक ऊपर होती है। यहां पर सेटेलाइट को लगातार प्रकाश भी मिलता रहता है। ये कक्षा धरती से करीब 600-800 किमी की ऊंचाई पर होती है। इस सेटेलाइट को भारत के जीएएसएलवी से लॉन्च किया जाएगा। नासा और इसरो के इस मिशन की मियाद तीन वर्षों की है। सिथेटिक एपरेचर रडार पृथ्वी के ऊपर से जगह की टू और थ्री डाइमेंशन इमेज बनाएगा। ये सब कुछ सार से छोड़ी गई रेडियो पल्स से होगा जो धरती से टकराकर वापस रिसीव की जाएगी और उसके जरिए एक इमेज तैयार की जाएगी।