22 November, 2024 (Friday)

आगामी 2 अक्टूबर को नये राजनीतिक दल जन सुराज पार्टी की घोषणा कर सकते हैं प्रशांत किशोर.

पटना. चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने ऐलान कर दिया है कि बिहार विधान सभा चुनाव के पहले नई पार्टी का गठन कर चुनावी मैदान में उतरेंगे. प्रशांत किशोर ने घोषणा की है कि आने वाले 2 अक्टूबर 2024 को जन सुराज पार्टी का गठन करेंगे. दरअसल, बिहार के तमाम जिलों में लगातार जाकर लोगों से मिलने और बिहार के सियासी तापमान को जानने के बाद पीके को लगने लगा है कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है. उनका कहना है कि लोगों की आकांक्षा को देखते हुए वह बिहार में एक नया विकल्प देने की ओर बढ़ चले हैं और इस क्रम में नई पार्टी को लेकर मैदान में ताल ठोकने की तैयारी में हैं.

प्रशांत किशोर का कहना है कि बिहार में 50 प्रतिशत से अधिक जनता नए विकल्प की तलाश कर रही है, क्योंकि लालू-नीतीश और भाजपा से लोग त्रस्त हो चुके हैं. पिछले 18 महीने से पदयात्रा कर रहे जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी चाहती है कि नया दल बने. लोग चाहते हैं कि अगर बिहार में सुधार होना है तो राज्य में एक नयी पार्टी या नया विकल्प बनना चाहिए, क्योंकि जनता पिछले 30 सालों से लालू, नीतीश और भाजपा से त्रस्त हो गई है.

प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार की जनता देख रही है कि उनके जीवन में सुधार नहीं हो रहा है, लेकिन लोगों को रास्ता नहीं दिख रहा है कि किसको वोट दें. प्रशांत किशोर ने कहा कि सामान्य आदमी अकेले तो पार्टी बना नहीं सकता है, ऐसे में जन सुराज वो अभियान है कि लोगों की ताकत को एकजुट किया जाए और सब लोग मिलकर वो विकल्प बनाएं जो हर आदमी खोज रहा है.

प्रशांत किशोर के इस कदम पर बिहार के वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि प्रशांत किशोर एक कुशल राजनीतिक रणनीतिकार हैं. उनके अनुभव को देखते हुए उनकी पार्टी पर नजर तो रखनी ही होगी. चुनाव में कई बार मतदाता इस उलझन में रहते हैं कि किसे वोट दें, अगर बिहार की जनता को लगेगा कि एनडीए और महागठबंधन के अलावा पीके की पार्टी बेहतर सरकार दे सकती है तो इसका बड़ा फायदा प्रशांत किशोर को हो सकता है. ऐसी तस्वीर अरविंद केजरीवाल ने पहले दिखाकर एक नई राह तो दिखा ही दी है.
वहीं, बिहार की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे कहते हैं कि प्रशांत किशोर लगातार बिहार में एनडीए और महा गठबंधन के अलावा तीसरा कोण बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बिहार जैसे राज्य कितना सफल होगा यह देखना होगा. अरुण पांडे कहते हैं कि दरअसल, बिहार हमेशा से जाति की राजनीति के लिए चर्चित रहा है, ऐसे में उस बेड़ी को कैसे तोड़ेंगे और कैसे अलग विकल्प दे पाएंगे, इस पर नजर रहेगी, जो आसान तो बिल्कुल ही नहीं है.
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