23 November, 2024 (Saturday)

अमेरिका से शुरू हुआ एक नाजायज टैक्स! भुगत रहीं दुनियाभर की महिलाएं, कंपनियां उठा रहीं फायदा!

इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल होते ही ‘पिंक टैक्स’ के ऊपर बहस शुरू हो चुकी है. देश दुनिया के कई बड़े लोगों का मानना है कि पिंक टैक्स ने केवल लिंगभेदी है, बल्कि यह कंपनियों द्वारा महिलाओं से मनमाने ढंग से अधिक पैसे वसूलने का तरीका है. दरअसल, हाल ही में पिंक टैक्स पर चर्चा इंटरप्रेन्योर किरण मजूमदार शॉ द्वारा एक वीडियो को साझा करने के बाद शुरू हुई जिसमें बताया जा रहा है कि महिलाओं को समान प्रोडक्ट्स के लिए पुरुषों से अधिक कीमत चुकानी पड़ती है.

किरण मजूमदार शॉ ने अपने एक्स (X) हैंडल से एक वीडियो को साझा करते हुए लिखा, “पिंक टैक्स! एक शर्मनाक लिंगभेदी टैक्स है जिसका जवाब महिलाओं को ऐसे उत्पादों से दूर रहकर देना चाहिए.” इस वीडियो के वायरल होते ही पिंक टैक्स के ऊपर सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई है और लोग इससे जुड़े कई तरह के सवाल पूछ रहे हैं. तो आइये समझने की कोशिश करते हैं कि पिंक टैक्स क्या है और क्या इसे सरकार महिलाओं के ऊपर लगाती है?

क्या है पिंक टैक्स और कैसे हुआ शुरू?
अगर पिंक टैक्स के इतिहास पर गौर करें तो यह टर्म पहली बार 1994 में यूएसए के कैलिफोर्निया में सामने आया. पिंक टैक्स जेंडर के हिसाब से वसूला जाता है. खासतौर पर वह प्रोडक्ट जो खासकर महिलाओं के लिए तैयार किया गया हो. दरअसल, आप अगर कभी शॉपिंग करने गए होंगे तो देखा होगा कि महिलाओं के वही प्रोडक्ट जो मर्दों के लिए भी उपलब्ध हैं उनकी कीमत अधिक है. इन प्रोडक्ट में साबुन, परफ्यूम, लोशन जैसे पर्सनल केयर प्रोडक्ट से लेकर गारमेंट, जूलरी और अपैरल समेत कई तरह के प्रोडक्ट्स पर महिलाएं अधिक कीमत चुकाती हैं.

उदाहरण के तौर पर देखें तो महिलाओं से हेयर ड्रेसिंग या बाल कटवाने के लिए पुरुषों की तुलना में 60 फीसदी अधिक पैसे वसूल लिए जाते हैं. इसके पीछे कंपनियों द्वारा महिलाओं के बाल लंबे होने और हाइजीन मेंटेन करने में एक्स्ट्रा खर्च जैसे कई तर्क दिए जाते हैं.

कितनी अधिक कीमत चुका रहीं महिलाएं?
वीडियो में बताया गया है कि महिलाओं के लिए 4.8 ग्राम के एक लिप बाम की कीमत 250 रुपये है, जबकि मर्दों के लिए आने वाले उसी कंपनी के लिप बाम की कीमत 165 रुपये है. यानी महिलाएं तकरीबन 51.5% अधिक कीमत का भुगतान कर रही हैं. वहीं मर्दों के एक रेजर की कीमत जहां 70 रुपये है, वहीं उसी कंपनी का रेजर महिलाओं के लिए 80 रुपये में उपब्ध है. वहीं, मर्दों के लिए 75 एमएल के एक रोलऑन डिओ की कीमत 105 रुपये है, जबकि महिलाओं के लिए उसी ब्रांड का वही डिओ 115 रुपये में बेचा जा रहा है

क्यों लगता है ये टैक्स?
इसके पीछे वजह ये मानी जाती है कि महिलाएं ऐसे प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग से सबसे अधिक प्रभावित होती हैं. अगर उनके मन में बैठ जाए कि ये प्रोडक्ट अच्छा है, तो वे अधिक कीमत देकर भी उसे खरीद लेती हैं. यही वजह है कि कंपनियां महिलाओं से ज्यादा पैसा वसूलती हैं. ये कंपनियों की अब मार्केटिंग स्ट्रैटजी बन गई है. जिससे कंपनियां महिलाओं से ज्यादा पैसा वसूल लेती हैं जिससे उनकी कमाई कई गुना बढ़ जाती है. कंपनियों द्वारा महिलाओं से पैसा कमाने की इसी तरकीब को ही ‘पिंक टैक्स’ कहा गया है.

क्या सरकार भी वसूलती है पिंक टैक्स?
आपको बता दें कि पिंक टैक्स पूरी तरह से प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनियों की मार्केटिंग स्ट्रेटजी है. इससे सरकार का कोई लेना देना नहीं है. यह किसी भी तरह का ऑफिसियल टैक्स नहीं है जिसका भुगतान सीधे सरकार को किया जाता है

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