यूपी में फ्लाइंग क्लब को मिलेगी नई ‘उड़ान’, सरकारी हवाई पट्टियों पर निजी संस्थाएं चलाएंगी विभिन्न कोर्स
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के अधीन 14 हवाई पट्टियों का उपयोग निजी संस्थाएं उड्डयन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए करेंगी। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए सरकारी हवाई पट्टियों के इस्तेमाल को प्रदेश सरकार जल्द ही कैबिनेट में नीति लाने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर सैद्धांतिक सहमति जता दी है। नीति को मंजूरी मिलते ही विभिन्न निजी फ्लाइंग क्लब सरकारी हवाई पट्टियों का इस्तेमाल पहले से कहीं अधिक सुविधाजनक ढंग से कर सकेंगे।
प्रस्तावित नीति में पायलट, अभियंता, टेक्नीशियन फ्लाइट डिस्पैचर, केबिन-क्रू से संबंधित प्रशिक्षण के लिए हवाई पट्टी का उपयोग किया जा सकेगा। निजी संस्थाएं स्वयं के खर्च पर ट्रेनिंग के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करेंगी। साथ ही उन्हें नियामक संस्थाओं से स्वीकृतियां प्राप्त कर उनके दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास में प्रस्तावित नीति का प्रजेंटेशन देखा। सीएम योगी ने प्रस्तावित नीति पर सैद्धांतिक सहमति प्रदान करते हुए कहा कि इस संबंध में अन्य राज्यों की नीतियों का भी अध्ययन कर लिया जाए। प्रदेश में नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं। प्रस्तावित नीति में बताया गया कि हवाई पट्टी पर उपलब्ध अन्य संसाधनों का उपयोग निजी संस्थाएं करेंगी। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अतिरिक्त हवाई पट्टी राजकीय विमानों तथा चार्टर ऑपरेशन के लिए भी उपलब्ध रहेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि साढ़े तीन वर्षों में राज्य में नागरिक उड्डयन क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हुआ है। कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विकास का कार्य पूरा हो चुका है। मात्र लाइसेंसिंग प्रक्रिया का कार्य चल रहा है। प्रदेश में कई हवाई पट्टियों को भी एयरपोर्ट के रूप में विकसित किया जा रहा है। अपने संसाधनों से इतनी संख्या में एयरपोर्ट विकसित करने में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य है।
प्रस्तुतीकरण के दौरान बताया गया कि प्रदेश में सात एयरपोर्ट पर हवाई सेवाएं संचालित हो रही हैं तथा एक उड़ान के लिए तैयार है। 12 अन्य एयरपोर्ट का विकास राज्य सरकार द्वारा कराया जा रहा है। इसके अलावा आठ हवाई पट्टियां हैं। विभाग के अधीन हवाई पट्टियों का उपयोग विमानन गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2007 में नीति निर्धारित की गई थी, इस नीति के तहत विभिन्न हवाई पट्टियों पर सात निजी संस्थाएं पायलट तथा विमानन अभियंता के कोर्स संचालित कर रही हैं। 13 साल पुरानी इसी नीति में सरकार संशोधन करने जा रही है।