दूसरों को कार-बाइक की चाबी देने से पहले जान लें ये नियम, एक्सीडेंट हुआ तो कौन होगा कसूरवार
नई दिल्ली. पुणे में पोर्शे कार से एक्सीडेंट के बाद आरोपी नाबालिग को बेल मिलने पर पूरा देश आक्रोश में है. लोग नाबालिग और उसके अभिभावकों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. नाबालिग नशे की हालत में 200 kmph की स्पीड में कार चला रहा था जिससे टक्कर के बाद दो बाइक सवार की मौत हो गई. लेकिन इस हादसे में गलती किसकी है, नाबालिग की या उसे गाड़ी की चाबी देने वाले उसके पिता की?
अगर आपकी कार या बाइक से किसी ने किसी को टक्कर मार दी और अगर उस व्यक्ति की जान चली गई तो किसे कसूरवार समझा जाएगा और किसे सजा होगी? आप भी अगर अपनी कार या फिर बाइक की चाबी किसी और को चलाने के लिए देते हैं तो आपको इस सवाल का जवाब पता जरूर पता होना चाहिए. बहुत से माता-पिता अपनी कार की चाबी बिना सोचे-समझे अपने नाबालिग बच्चों को चलाने के लिए दे देते हैं. अगर आप भी कुछ ऐसा ही करते हैं तो जान लीजिए कि एक्सीडेंट के समय किसे दोषी माना जाएगा.
नाबालिग को वाहन देने पर क्या है सजा?
नाबालिग को वाहन चलाने के लिए देना कानूनी रुप ये अपराध है. मोटर वाहन कानून के अनुसार कार-बाइक या किसी भी वाहन को चलाने वाले की न्युनतम उम्र 18 साल होनी चाहिए. अगर आपके बच्चे नाबालिग हैं और आप उन्हें चलाने के लिए बाइक या कार की चाबी देते हैं तो उसे अपराध माना जाएगा. यदि उस वाहन से एक्सीडेंट में किसी की जान चली जाए तो इस केस में नाबालिग के साथ माता पिता को भी आरोपी माना जाएगा. मोटर वाहन कानून के अनुसार, इस मामले में माता-पिता को तीन साल तक की सजा और 25 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा 12 महीने तक के लिए वाहन का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता है.
क्या कहता है कानून?
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 005 और 195 में यह बात स्पष्ट रूप से लिखी हुई है कि नाबालिग को अगर आप गाड़ी की चाबी देते हैं और कोई सड़क हादसा होता है तो इस केस में माता-पिता भी उतने ही दोषी हैं जितना कि नाबालिग. इसलिए, अगली बार अपने वाहन की चाबी किसी को भी देने से पहले आपको ये पता होना चाहिए कि जिन्हें आप चाबी दे रहे हैं वह बालिग हैं या फिर नाबालिग.