डेमोक्रेसी से कश्मीर तक…मोदी की जीत की क्या-क्या बोल रहे पाकिस्तानी
भारत के चुनावों पर पूरी दुनिया की नजर रहती है. इसीलिए जैसे ही लोकसभा चुनाव के नतीजे आए, विश्व के लगभग सभी प्रमुख मीडिया संस्थानों ने उसे कवर किया. लंबे-लंबे लेख लिखे. इसमें पाकिस्तानी भी पीछे नहीं हैं. मोदी की जीत पर पाकिस्तान के दो पूर्व राजदूतों ने अपनी राय रखी है. एक ने डेमोक्रेसी की जीत बताते हुए जमकर तारीफ की, और पाकिस्तान को सीख लेने की नसीहत दी. तो दूसरे ने कश्मीर का जिक्र कर भारत पर निशाना साधा.
पाकिस्तान के पूर्व राजदूत और शिक्षाविद हुसैन हक्कानी ने लोकसभा चुनाव और भारतीय लोकतंत्र की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि भारत में जो कुछ हो रहा है, उससे प्रभावित हुए बिना रहना मुश्किल है. सोशल मीडिया पोस्ट में हक्कानी ने लिखा, 44 दिन की चुनाव प्रक्रिया, 90 करोड़ मतदाता, 64 करोड़ लोगों ने मतदान किया, इनमें से भी आधी महिलाएं थीं. 67% वोटिंग, 11 लाख मतदान केंद्र और 55 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें. भारत के लोकतंत्र की विशालता से प्रभावित हुए बिना रहना कठिन है.
हक्कानी बोले-लगा मोदी-भाजपा से लोग ऊबे
हक्कानी ने भारतीय चुनावों पर पाकिस्तानी अखबार द हिल में लेख भी लिखा है. लिखा, लोकसभा चुनाव के नतीजों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी को चौंका दिया है.वे फिर से सरकार बनाएंगे, लेकिन उन्हें गठबंधन सहयोगियों के समर्थन से ऐसा करना होगा. इससे मोदी ने कभी गठबंधन सरकार का नेतृत्व नहीं किया है. ऐसा लगता है कि भारतीय मतदाता मोदी और भाजपा के आत्मविश्वास से कुछ ऊब चुके हैं. लोकतंत्र सबको सुधार करने का मौका देता है.
अब्दुल बासित ने अलापा अलग ही राग
हालांकि, भारत में पाकिस्तान के राजदूत रहे अब्दुल बासित कुछ अलग ही राग अलापते नजर आए. उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, श्रीनगर से लेकर कारगिल तक भारत के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में भाजपा के प्रतिनिधियों की चुनावी हार ने बिना किसी संदेह के बता दिया कि कश्मीरी आत्मनिर्णय के अपने अधिकार के लिए संघर्ष जारी रखने के लिए कितने दृढ़ हैं. उन्हें सलाम है. हालांकि, पाकिस्तानी अखबार डॉन ने लिखा, चुनाव बाद मोदी मुस्लिम-हितैषी सहयोगियों की दया पर छोड़ दिए गए. पाकिस्तान ऑब्ज़र्वर ने कहा, मोदी गठबंधन बहुमत की ओर बढ़ रहा है, लेकिन कोई बड़ी जीत नहीं.