अब विहिप ने आम लोगों से मांगे रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को चमकाने के लिए सुझाव
अयोध्या में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से एक अनूठी पहल शुरू की गई है। इस पहल के तहत ट्रस्ट की ओर से एक विज्ञापन प्रकाशित करके आम लोगों से इस मंदिर के डिजाइन के लिए सुझाव मांगा गया है।
विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल की ओर से इसके बारे में अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट भी किया है। अपने ट्वीटर हैंडल पर उन्होंने लिखा है कि जो भी लोग इसमें सुझाव देना चाहते हैं वो इसके मास्टरप्लान हेतु 25 नवम्बर तक @ShriRamTeerth को मेल आइडी पर अपने सुझाव भेज सकते हैं। इसके लिए @ShriRamTeerth पर सुझाव मांगे गए हैं।
उन्होंने लिखा है कि श्री राममंदिर का डिजाइन तो फाइनल हो चुका, अब 70 एकड़ के परिसर की बारी है। मात्र आर्थिक या भावनात्मक रूप से नहीं अपितु तकनीकी व कौशल के रूप में भी हम सभी रामभक्त, राममंदिर से जुड़ कर अपना योगदान सुनिश्चित कर सकें।
राम मंदिर के भू-तल में सिंहद्वार, गर्भगृह, नृत्यद्वार, रंगमंडप बनेगा। इसके अलावा मंदिर में 212 खंभे होंगे। जिसमें से पहली मंजिल में 106 खंभे और दूसरी मंजिल में 106 खंभे बनाए जाएंगे। प्रत्येक खंभे में 16 मूर्तियां होंगी और मंदिर में दो चबूतरे भी होंगे।
राममंदिर कई मामलों में स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना होगा। भव्य भवन पूर्व के उन तमाम कटु अनुभवों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा, जिनका सामना पूर्व में करना पड़ा। भविष्य में मंदिर पर कोई आंच न आए इसलिए गुणवत्ता और मुश्किलें सहने की क्षमता खास होगी। यही वजह है, आकार-प्रकार में तमाम बदलाव के बाद भी सदियों के संघर्ष का गवाह यह मंदिर भविष्य में एक हजार वर्षों तक गौरव का अहसास कराने के लिए तनकर खड़ा रहेगा। बड़ा से बड़ा जलजला उसका बाल बांका नहीं कर पाएगा। भवन का डिजाइन रिएक्टर स्केल पर आठ से 10 तक तीव्रता वाला भूकंप आसानी से झेल जाएगा।
राम मंदिर उत्तर भारत की प्रचलित शैली नागर से निर्मित होगा। उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब हिमाचल, जम्मू आदि में स्थापित सभी मंदिर इसी शैली के हैं। उत्तर भारत में भगवान के सबसे ऊंचे दर्जे को ध्यान में रखते हुए सभी मंदिरों में उनका वास स्थल भव्य बनाया जाता है। जबकि प्रवेश द्वार छोटा रहता है। वहीं दक्षिण में इंट्री गेट (गोपुरम) को काफी बड़ा रखा जाता है और भगवान का वास स्थल छोटा रहता है। वहां मान्यता है कि भगवान सूक्ष्म की तरफ जा रहे हैं, इसलिए उनका वास स्थल भी वैसा ही रहे।
उन्होंने लिखा है कि श्री राममंदिर का डिजाइन तो फाइनल हो चुका, अब 70 एकड़ के परिसर की बारी है। मात्र आर्थिक या भावनात्मक रूप से नहीं अपितु तकनीकी व कौशल के रूप में भी हम सभी रामभक्त, राममंदिर से जुड़ कर अपना योगदान सुनिश्चित करें। अब मंदिर निर्माण में टाटा कंस्ट्रक्शन कंपनी को कंसल्टेंट की भूमिका में शामिल कर लिया गया है।
मंदिर का निर्माण कार्य एलएंडी के पास है, जबकि आइआइटी रुड़की तथा आइआइटी चेन्नई के इंजीनियर्स की टीम इसकी गुणवत्ता को परख रही है। अब टाटा कंस्ट्रक्शन कंपनी को यहां एलएंडटी का काम को परखने का काम दिया है। टाटा कंस्ट्रक्शन कंपनी अब एलएंडटी कंपनी के काम पर नजर रखेगी। इसके साथ अन्य कई कंपनियां निर्माण कार्य पर नजर रखेंगी। इसके साथ आर्किटेक्ट तथा धर्माचार्यों से भी मंदिर के काम को लेकर सुझाव मांगा जाएगा। मंदिर की नींव के लिए 12 टेस्ट पिलर्स तैयार हैं। अब इनको नींव में डालना है।