योगी सरकार के चार साल: महिला सुरक्षा और स्वावलंबन का ‘मिशन’, आज कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी आधी आबादी
महिला-बेटियों की सुरक्षा और सशक्तीकरण…। यह एक ऐसी पुकार है, जो दशकों से हमारे समाज में गूंज रही है। निस्संदेह हर सरकार ने इस दिशा में काम भी किया है। यही वजह है कि आज हर क्षेत्र में आधी आबादी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। अब सवाल यह कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ महिला कल्याण के क्षेत्र में क्या बदलाव आए? इसका जवाब धरातल पर उतरती योजनाएं देंगी। महिला-बेटियों की सुरक्षा और स्वावलंबन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई ‘मिशन शक्ति’ योजना भी इस दिशा में सरकार के गंभीर रुख को इंगित करती है।
मिशन शक्ति योजना के सार्थक परिणाम दिखने लगे हैं। महिलाओं में सुरक्षा और आत्मसम्मान के प्रति सामाजिक जागरुकता और चेतना में भी वृद्धि हुई है। सरकार प्रदेश में ऐसा माहौल बनाने की कोशिश में लगी है, जिससे समाज में लोग बेटियों के पैदा होने पर निराश होने की बजाए जश्न मनाएं। बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की कन्या सुमंगला योजना मनोबल बढ़ाने वाली है। इसमें बेटियों के पैदा होने के समय से लेकर उनकी डिग्री तक की पढ़ाई के लिए अलग-अलग चरणों में सरकार 15 हजार रुपये की आर्थिक मदद करती है। अब तक 6.13 लाख परिवारों को इस योजना का लाभ मिला है।
बेहतर जीवन जीने के लिए महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त भी हो रही हैं। महिलाएं शिक्षित और प्रशिक्षित होकर विकास की मुख्यधारा से जुड़कर काम कर रही हैं। यह तभी संभव हुआ, जब योगी सरकार के इकबाल से प्रदेश में महिला अपराधों में कमी आई है। शहरी और ग्रामीण इलाको में पुलिस की गश्त बढ़ने से महिलाओं में सुरक्षा की भावना प्रबल हुई। स्कूलों और सार्वजनिक स्थलों पर पिंक पुलिस बूथ बनाकर पुलिस की ड्यूटी लगाई गई। सार्वजनिक स्थानों पर कैमरे लगाने से भी अपराध नियंत्रित हुआ है।
सरकार के तमाम प्रयासों के कारण ही अब महिलाएं अपनी समस्याएं खुलकर हर स्तर पर साझा करने लगी हैं। यौन शोषण, लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, स्कूल के आसपास शराब की दुकानें, दहेज उत्पीड़न जैसे तमाम मुद्दों पर अपनी बात कहने लगी हैं। सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए पंचायत स्तर पर बैंकिंग सहित अन्य योजनाओं में सहयोग के लिए बीसी सखी योजना शुरू की है। इसके पहले चरण में 58 हजार महिला अभ्यर्थियों का चयन किया गया है।
अब डीएम-कमिश्नर बांटते हैं गरीबों की शादी का कार्ड: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में अब तक एक लाख से अधिक गरीब कन्याओं की शादी सरकार करा चुकी है। इस योजना में खुद मुख्यमंत्री दिलचस्पी ले रहे हैं। ऐसे में अफसर सामूहिक विवाह के इंतजाम अच्छे से करवाते हैं। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि गरीब कन्याओं की बेटियों की शादी के कार्ड डीएम व कमिश्नर बांटते हैं।
साल भर चलेगा मिशन शक्ति अभियान: अप्रैल तक चलने वाले मिशन शक्ति अभियान की सफलता को देखते सरकार ने इसे एक वर्ष तक और चलाने का निर्णय लिया है। सभी जिलाधिकारी एक वर्ष का रोडमैप तैयार कर रहे हैं। इसके तहत महिलाओं व बच्चों के मुद्दों के लिए अलग-अलग कार्ययोजनाएं तैयार की जाएंगी।
एक काम अब भी शेष: भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में विधवा पेंशन एक हजार रुपये करने का वादा किया था, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी सरकार अपने इस वादे को पूरा नहीं कर पाई। आज भी निराश्रित महिलाओं को 500 रुपये महीना ही पेंशन मिल रही है। हालांकि सरकार ने पेंशन का दायरा बढ़ाया है। वर्ष 2016-17 में जब अखिलेश यादव की सरकार थी, तब 17.32 लाख निराश्रित महिलाओं को पेंशन मिलती थी। अब 27.95 लाख निराश्रित महिलाओं को पेंशन मिल रही है।
इस तरह बढ़े निराश्रित महिला पेंशन के लाभार्थी
वित्तीय वर्ष-लाभान्वित महिलाएं
- 2016-17-17.32 लाख
- 2017-18-19.37 लाख
- 2018-19-22.51 लाख
- 2019-20-26.09 लाख
- 2020-21-27.95 लाख