Year Ender 2020: अर्थव्यवस्था सुस्त लेकिन सरपट भागा शेयर बाजार, जानें कैसा रहेगा नया साल
साल 2020 निवेशकों के लिए रोलर कोस्टर की सवारी जैसा उतार-चढ़ाव भरा रहा है। यह साल सकारात्मक संकेत के साथ शुरू हुआ, लेकिन जल्दी ही हालात मनहूस हो गये, कोविड-19 के प्रसार ने सरकारों को सख्त लॉकडाउन लगाने के लिए मजबूर किया। बाजार ने हमेशा की तरह ही इस बार भी अग्रिम तौर पर उस झटके का असर सहन कर लिया जो अप्रैल-जून की तिमाही में अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला था।
मार्च में ही बाजारों में भारी गिरावट आयी और अगली तिमाहियों में उनमें तेजी से सुधार होता गया, जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधियां पटरी पर लौटने लगीं। अगस्त के बाद आर्थिक संकेतक और कॉर्पोरेट की कमाई के आंकड़े उम्मीद से ज्यादा बेहतर दिखे और इसके बाद हमने बाजार को सरपट भागते देखा। इस साल को अब तक तो इन चार पंक्तियों में ही समेटा जा सकता है, लेकिन साफतौर से यह इन नौ उथल-पुथल वाले महीनों में निवेशकों के व्यवहार को नहीं प्रकट कर सकते।
अप्रैल से जून की तिमाही में लोगों की नौकरियां चली गयीं, वेतन कट गये, वेतन मिलने में देरी होने लगी, स्वरोजगार में लगे लोगों/प्रोफेशनल्स का पैसा फंस गया, क्योंकि अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट आ गयी थी।
इसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया यह रही कि लोगों ने एसआईपी में निवेश रोक दिया या बंद कर दिया। नवंबर महीने में एसआईपी का मासिक इनपुट वैल्यू 8641 करोड़ रुपये से घटकर 7,302 करोड़ रुपये रह गया। बाजार में गिरावट का असर यह हुआ कि लोगों के पास नकदी की कमी हो गयी और जब भी बाजार में तेजी का दौर आया ज्यादातर इक्विटी वाले फंडों से लगातार पैसा बाहर निकाला गया। एएमसी कारोबार के निश्चित आय वाले फंडों में भी कारोबार संक्रमण के दौर में देखा गया। आईएलएफएस के डिफ़ॉल्ट के समय से ही कर्ज संकट शुरू हो गया था और महामारी के दौर ने इस आग में घी लगाने का काम किया, इसका विपरीत असर उन कई निश्चित आय वाली योजनाओं पर पड़ा जिनका कर्ज में एक्सपोजर था। तो फंडों के क्रेडिट वाले वर्ग से भी पैसे बाहर निकाले जाने लगे। निवेशक गुणवत्ता की तलाश में लग गये और अपने पोर्टफोलियो में ज्यादा पारदर्शिता की मांग करने लगे। मुझे यह बताने में खुशी हो रही है कि पीजीआईएम इंडिया ऐसे पहले फंड हाउस में से था जो दैनिक आधार पर अपने पोर्टफोलियो में चुनी गयी डेट स्कीम की जानकारी दे रहा था।
लेकिन इन महीनों में सब कुछ बुरा ही नहीं था। नये एसआईपी रजिस्ट्रेशन की संख्या कैंसिल होने वाले एसआईपी से ज्यादा हो गयी। अप्रैल से नवंबर के बीच करीब 79 लाख नये एसआईपी रजिस्टर्ड किये गये। नये रजिस्ट्रेशन की दर काफी हद तक पिछले साल जैसी ही थी। अन्य जो सेगमेंट निवेशकों को पसंद आये वे थे फंड आॅफ फंड (विदेश) श्रेणी के। मुझे उम्मीद है कि निवेशक विदेशी निवेश के मुख्य घटक से प्रभावित हुए होंगे, जैसे कि ऐसे थीम और शेयर में निवेश का अवसर जो कि भारतीय एक्सचेंज पर मौजूद नहीं हैं, पोर्टफोलियो को विविधता देना और सिर्फ रिटर्न के प्रति आकर्षित न होना।
पिछले कुछ वर्षों में सलाहकारों, वितरकों और निवेशकों में डिजिटल को अपनाने की दर काफी बढ़ी है। इस साल इस चलन में और बढ़त इस वजह से हुई क्योंकि लॉकडाउन की वजह से सभी सेगमेंट के लोगों को यह आभास हो गया कि डिजिटल को अपनाना कितना सुविधाजनक है। मुझे उम्मीद है कि यह चलन ऐसे आकर्षक युग में प्रवेश करेगा, जहां सिर्फ लेन-देन में ही नहीं, बल्कि ग्राहकों को समाधान पेश करने में भी इस क्षमता का विकास किया जाएगा। सेबी ने भी आरआईए/एमएफडी गाइडलाइन पेश किये। मुझे उम्मीद है कि वितरण समाधान की श्रेणी को तेजी से अपनाएंगे। आज हम बीएएफ की एक कैटेगिरी के रूप में ज्यादा स्वीकार्यता देख रहे हैं। मेरा यह मानना है कि डायनामिक एडवांटेज एसेट एलोकेशन फेसिलिटी, एज लिंक्ड इनवेस्टमेंट जैसी हमारी सुविधाओं से यह गति और तेज होगी क्योंकि यह उद्योग लेन-देन से समाधान की तरफ आगे बढ़ेगा।
आगे साल 2021 के लिहाज से देखें तो अर्थव्यवस्था और बाजार के लिए कई सकारात्मक चीजें रही हैं। दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने कोविड की वजह से असल अर्थव्यवस्था और खासकर छोटे एवं मध्यम कारोबारों को लगे झटके को समझा है। उन्होंने न केवल भारी नकदी को झोंका है, बल्कि यह भी वादा किया है कि निकट भविष्य में वे दरों को कम रखेंगे। इससे जोखिम वाले एसेट की मांग बढ़ेगी और भारत जैसे उभरते बाजारों में वैश्विक निवेशकों का निवेश बढ़ता दिखेगा।
दुनियाभर में कोविड के टीकों को मंजूरी दी जा रही है और जल्दी ही सबसे पहले सबसे जरूरी लोगों को टीका लगाने की शुरुआत हो जाएगी। इससे पर्यटन, होटल, थिएटर सेक्टर के कारोबार के सामान्य होने की उम्मीद है जो कि पूरी तरह लोगों के फेस टु फेस संपर्क, आवाजाही पर निर्भर करते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था इन दिनों काफी निचले बेस पर है और इसलिए आगे की तिमाहियों में आंकड़े सकारात्मक आएंगे।
कई सेगमेंट में वर्क फ्रॉम होम एक स्थायी व्यवस्था हो जाएगी और इसकी वजह से बड़े पैमाने पर प्रतिभावान लोग नौकरियों में होंगे। ऐसी औरतें जिन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से ब्रेक ले लिया था, ऐसे लोग जो पारिवारिक कारणों से अपने गांव या शहर चले गये थे, उन सबको नए अवसर हासिल होंगे। कोविड के कुछ निशान बने रह सकते हैं और संभवतः ऐसे लोगों की संख्या बढ़ेगी जो पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जगह अपने निजी वाहन से चलना पसंद करेंगे।
तो क्या आर्थिक मोर्चे पर सबकुछ अच्छा ही दिख रहा है? जी नहीं। आगे कई चुनौतियां हैं। आपूर्ति बाधित होने से छोटे कारोबार बंद हो गये हैं। कई मामलों में पूरा सप्लाई चेन ही बर्बाद हो गया है। इसकी वजह से महंगाई बढ़ सकती है और केंद्रीय बैंक अपने रुख को बदलने के लिए मजबूर हो सकते हैं। इसकी पृष्ठभूमि में भू-राजनीतिक जोखिम बने रह सकते हैं और इस तरह बढ़ती असमानता की वह से चुनौतियां भी।
तो साल 2021 में निवेशकों को क्या करना चाहिए? हमारा मानना है कि निवेशकों को अपने निवेश के बारे में प्रतिक्रियावादी रवैया अपनाने की जगह किसी योग्य वित्तीय सलाहकार की मदद से उनमें बदलाव की कोशिश करनी चाहिए। आप अगर कर सकते हैं इस समय को अपने को पुनर्गठित करने में लगाएं, लेकिन आपको यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि कोरोना के बाद आपकी प्राथकिताएं किस क्रम में होनी चाहिए। संरक्षण की जरूरत, इमरजेंसी फंड की जरूरत को सबसे पहले तैयार करना चाहिए या उसे मजबूत करना चाहिए। अपने वित्तीय लक्ष्य के हिसाब से अपने एसेट आवंटन का मूल्यांकन नए सिरे से करें, जिसमें रिटायरमेंट को प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि यही एकमात्र वित्तीय लक्ष्य है जिसके लिए आपको कोई परंपरागत लोन नहीं मिलने वाला।
इस बात का ध्यान रहे कि मीडिया में आने वाली नई-नई खबरों के हिसाब से आप लिक्विड श्रेणी में गलत आवंटन न कर लें, यह भी एक महत्वपूर्ण बात है। और सबसे अंत में, इस बात की प्रतिबद्धता रखें कि कमाई से कम खर्च करना है, बाकी बचे पैसे की बचत करनी है, किसी भरोसेमंद वित्तीय सलाहकार की मदद से किसी विविधता वाले पोर्टफोलियो में निवेश करना है और धैय एवं अनुशासन बनाए रखना है, ये चार ऐेसे साधारण कदम हैं, जिनकी प्रतिबद्धता सिर्फ 2021 के लिए नहीं बल्कि आगे आने वाले वर्षों के लिए रखनी होगी।