26 November, 2024 (Tuesday)

मांगें पूरी हुईं तो ब्लैक-सी अनाज समझौते पर वापस लौटेगा रूस, तुर्की के राष्ट्रपति की अपील पर बोले पुतिन

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीन पुतिन ने कहा है कि यदि उनकी मांगें पूरी हुईं और मास्को के हित सु​रक्षित रहेंगे तो रूस वापस ब्लैक सी अनाज समझौते में वापस लौट सकता है। पुतिन ने यह बात तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ टेलिफोन पर बातचीत में कही। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पुतिन से अनाज समझौते पर अनाज समझौते के मुद्दे पर चर्चा की थी।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों नेताओं ने बुधवार को समझौते से रूस के पीछे हटने पर चर्चा की, जिसका उद्देश्य काला सागर बंदरगाहों से यूक्रेनी अनाज और रूसी भोजन और उर्वरकों के निर्यात को सुविधाजनक बनाना था। क्रेमलिन के अनुसार, पुतिन ने एर्दोगन से कहा कि अनाज सौदे के रूसी हिस्से के कार्यान्वयन के बिना समझौते का विस्तार अर्थहीन है। उन्होंने दोहराया कि समझौते में ‘जैसे ही पश्चिम अपने सभी दायित्वों को पूरा करेगा’, तो रूस इस समझौते में वापस आ जाएगा। दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर दूसरे विकल्पों पर भी बातचीत की, जिससे कि जरूरतमंद देशों को रूसी अनाज की सप्लाई की जा सके।

अनाज समझौते में रुकावट से यूएन के खाद्य कार्यक्रम को लगा धक्का

उधर, अनाज समझौते पर संकट आने से यूएन के खाद्य कार्यक्रम को भी धक्का लगा है। रूस और यूक्रेन में चल रहे युद्ध के बीच अनाज समझौते में रुकावट के चलते संयुक्त राष्ट्र के खाद्य कार्यक्रम पर काफी असर पड़ा है। यूक्रेन से खाद्यान्न को अफ्रीका, पश्चिम एशिया तथा एशिया के देशों में निर्यात करने के लिए हुए ऐतिहासिक समझौते में रुकावट आने के कारण संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी का काम प्रभावित हो रहा है। इस वजह से संकटग्रस्ट देशों में मदद पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं।

अनाज के लिए दूसरे देशों से लेनी होगी मदद: यूएन

विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के उप कार्यकारी निदेशक कार्ल एस ने कहा, ‘अब हमें अनाज के लिए किसी और देश से मदद लेनी होगी। हम नहीं जानते कि बाजार की क्या स्थिति रहती है लेकिन खाद्य पदार्थ की कीमतों में वृद्धि होगी।’ डब्ल्यूएफपी ने मंगलवार को बजट में कटौती का हवाला देते हुए जॉर्डन में दो शिविरों में रह रहे 1,20,000 सीरियाई शरणार्थियों के लिए हर माह दी जाने वाली नकद सहायता राशि को कम करना शुरू कर दिया, जिससे शरणार्थी और जॉर्डन के अधिकारी परेशान हैं।

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