01 November, 2024 (Friday)

वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में दो बार क्यों हुआ था टॉस, जानिए कारण

अगर आप भी कभी गली क्रिकेटर रहे हों तो इस बात से इत्तेफाक रखते होंगे कि टॉस के दौरान अगर छोटी-मोटी कोई चूक हो जाती है तो फिर दूसरी बार टॉस होता है। वैसे तो गली क्रिकेट में सिक्के से कम किसी पाउच पर हिंदी या इंग्लिश के संबोधन के साथ टॉस होता है, लेकिन अगर ये टॉस किसी के शरीर से भी लग जाता है तो फिर दोबारा किया जाता है, लेकिन ऐसा ही अगर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में और वो भी विश्व कप जैसे विशाल टूर्नामेंट के फाइनल में हो तो आप इसे क्या कहेंगे।

जी हां, भारत और श्रीलंका के बीच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए वर्ल्ड कप 2011 के फाइनल में एक नहीं, बल्कि दो बार टॉस किया गया था। इसके पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है, लेकिन अच्छी बात ये है कि इस पर किसी की भी टीम या फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को भी इससे कोई परेशानी नहीं थी। अब जानिए कि विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट के फाइनल में आखिरकार ऐसा क्या हुआ था, जब दो बार टॉस की नौबत आ गई।

दरअसल, विश्व कप 2011 के फाइनल के लिए मैच रेफरी जेफ क्रो, भारतीय कप्तान एमएस धौनी और श्रीलंकाई कप्तान कुमार संगकारा के साथ-साथ टॉस प्रेजेंटर भी पिच पर टॉस के लिए थे। एमएस धौनी ने सिक्का हवा में उछाला था, लेकिन खचाखच भरे मुंबई के स्टेडियम में फाइनल की वजह से शोर इतना था कि मैच रेफरी जेफ क्रो संगकारा की आवाज (हेड या टेल) नहीं सुन पाए थे। ऐसे में फैसला हुआ कि दोबारा टॉस किया जाएगा।

उस मुकाबले की बात करें तो इस मैच में दो बार टॉस फेंका गया था, जिसमें कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और मैच रेफरी ने लगभग 33 हजार लोगों की एकसाथ गूंजती आवाज के बीच श्रीलंकाई कप्तान कुमार संगकारा की आवाज (हेड या टेल) नहीं सुनी थी। यही वजह थी कि विश्व कप जैसे फाइनल में दोबारा टॉस हुआ था। दूसरी बार हुए टॉस में श्रीलंकाई टीम ने टॉस जीता था और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था।

श्रीलंकाई टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए महेला जयवर्धने के शतक के दम पर निर्धारित 50 ओवर में 6 विकेट के नुकसान पर 274 रन बनाए थे। वर्ल्ड कप फाइनल के हिसाब से ये स्कोर श्रीलंकाई टीम के लिए बहुत अच्छा माना जा रहा था, क्योंकि मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम का रिकॉर्ड भी ऐसा ही था कि जो टीम पहले बल्लेबाजी करेगी उसके जीतने के चांस ज्यादा होंगे। ऊपर से ये मुकाबला विश्व कप का फाइनल भी था।

हालांकि, भारतीय टीम को पहले ही ओवर में वीरेंद्र सहवाग और फिर कुछ देर बाद सचिन तेंदुलकर के रूप में दो झटके लगे और टीम दबाव में आ गई, लेकिन गौतम गंभीर (97 रन) नंबर 3 पर शानदार बल्लेबाजी की और विराट कोहली (35) के साथ तीसरे विकेट के लिए 80 से ज्यादा रन की साझेदारी हुई और फिर गंभीर ने एमएस धौनी (91) के साथ मैच को निकाला। बाद में युवराज और धौनी ने मैच फिनिश किया और भारत को 28 साल बाद विश्व कप जिताया।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *