02 November, 2024 (Saturday)

क्यों छोड़ना पड़ा मेसी को बार्सिलोना, जाते-जाते क्यों रोए मेसी

क्लब मैनेजमेंट भी अंत तक यही कहता रहा कि वो हर हाल में मेसी को अपने साथ रखना चाहता हैं। जब क्लब चाहता था मेसी रहें, मेसी चाहते थे जुड़े रहें तो फिर क्या वजह रही कि दुनिया से सबसे अच्छे खिलाड़ी को इस तरह बेआबरू होकर रुखसत होना पड़ा उस जगह से जहां वो 13 साल की उम्र में आया और लगातार 21 साल जुड़ा रहा। इस प्रश्न का उत्तर उन तमाम कुप्रबंधन और षड़यंत्र कथाओं में छुपा है जिसने दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित क्लबों में से एक एफसी बार्सिलोना को दिवालिया होने की कगार पर ला खड़ा किया। रही सही कसर स्पेनिश लीग ला लिगा के कर्ता धर्ताओं के अड़ियल रवैये ने पूरी कर दी।

हाल ही में ऐसा क्या हुआ
सबसे पहले तात्कालिक कारण जानते हैं। एफसी बार्सिलोना के प्रेसिडेंट जोआन लापोर्ता के अनुसार बार्सिलोना की माली हालत कागजों को देखने पर उससे ज्यादा खराब निकली जितनी बताई गई थी। उनके मुताबिक क्लब का सैलरी खर्च राजस्व का 110 प्रतिशत है यानि क्लब जितना कमा रहा है उससे ज्यादा खर्च कर रहा है। लगातार कुप्रबंधन का शिकार रहे बार्सिलोना के लिए कोविड काल मुसीबत बन गया। इस दौरान क्लब का रेवेन्यू बहुत गिर गया और सैलरी खर्च पहले से किए गए अनुबंधों के कारण कायम रहा। ला लिगा के फाइनेंशियल फेयर प्ले नियमों के अनुसार कोई क्लब अपनी आय का एक निश्चित प्रतिशत ही तनख्वाह में दे सकता है। ऐसा नियम इसलिए बनाया गया ताकि बड़े क्लब अपनी मोनोपोली न स्थापित कर लें गेम पर और लीग प्रतियोगी बनी रहे। बार्सिलोना का राजस्व बहुत घटने से उनकी तनख्वाह पर खर्च करने की सीमा भी कम निर्धारित हो गई नियमों के अनुसार। ऐसे में उनके पास मेसी से नया अनुबंध करने की गुंजाइश समाप्त हो गई। मेसी का पुराना अनुबंध जून माह में समाप्त हो चुका है।

मेसी के जाने से क्या पड़ेगा प्रभाव
लेकिन मेसी कोई सामान्य खिलाड़ी नहीं हैं। वो ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम माने जा रहे हैं। सिर्फ उनके लीग से चले जाने से बार्सिलोना ही नहीं ला लिगा को राजस्व का भारी नुकसान होगा क्योंकि सारी दुनिया के दर्शक स्पेनिश लीग से मुंह मोड़ लेंगे। ला लिगा की व्यूअरशिप की बड़ी संख्या सिर्फ मेसी के कारण ही ही। ऐसे में ला लिगा प्रबंधन ने लीग को होने वाले संभावित नुकसान से बचाने हेतु अलग से इमानदार प्रयास क्यों नहीं किए ये प्रश्न है। लिगा प्रेसिंडेट जेवियर टबास ने मेसी के लिए नियमों को शिथिल करने हेतु जो प्रस्ताव बार्सिलोना को दिया उसे लापोर्ता ने स्वीकार करने में असमर्थता जता दी। लापोर्ता का कहना था कि उस प्रस्ताव को स्वीकार करने से 50 साल तक टेलिविजन राइट्स में नुकसान सहना पड़ता।

क्लब और ला लिगा प्रबंधन भले कानून समझा रहे हों लेकिन कुछ सवाल हैं जिनका जवाब उनसे मांगा जाना चाहिए।

1. ला लिगा के फाइनेंशियल फेयर प्ले रेग्युलेशंस इस हफ्ते नहीं बने। क्या उनकी जानकारी बार्सिलोना क्लब प्रेसिडेंट लापोर्ता को उस समय नहीं थी जब वो मेसी और बार्सा समर्थकों को भरोसा दिला रहे थे कि मेसी को बार्सिलोना में रोक लिया जाएगा? क्या वो पहले झूठ बोल रहे थे?
2. मेसी खिलाड़ी हैं सीईओ नहीं पर लापोर्ता का काम प्रॉफिट एंड लॉस देखना ही है। ऐसे में क्लब प्रेसिडेंट को क्या पता नहीं था कि क्लब के राजस्व की स्थिति क्या है? उन्होंने मेसी को बुलाया किस आधार पर था नया कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए?
3. राजस्व की जो स्थिति लापोर्ता बता रहे हैं उसके हिसाब से तो बार्सिलोना किसी नए खिलाड़ी को साइन नहीं कर सकता फिर पिछले दिनो सर्जिओ अगुएरो और मेम्फिस डिपे को कैसे साइन किया गया ? अगर उनके साइन के बाद का खर्च बता रहे हैं तो उन्हें साइन ही क्यों किया जब मेसी से अनुबंध की बात थी ?
4. जेवियर टबास ने 50 साल तक टीवी राइट्स में नुकसान का जो विकल्प रखा मेसी से नए अनुबंध की अनुमति हेतु वो कहां से आया। क्या कोई 50 साल नुकसान का प्रस्ताव स्वीकार कर सकता है। कहीं ये ला लिगा प्रेसिडेंट टबास और बार्सिलोना प्रेसिडेंट लापोर्ता की ईगो की लड़ाई का परिणाम तो नहीं।

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बार्सिलोना को पहुंचाया था शिखर पर
जिन भी वजहों से ये सब हुआ बहुत गलत हुआ।13 साल के बच्चे से तीन पुत्रों के पिता बनने तक मेसी ने फुटबॉल की दुनिया वहीं रह कर फतह की। मेसी ने एफसी बार्सिलोना के लिए 10 बार स्पेनिश लीग ला लिगा का खिताब जीता, 4 बार चैम्पियंस लीग जिताई, 7 बार कोपा डेल रे और 3 बार क्लब वर्ल्ड कप जिताया,3 बार यूरोपियन सुपर कप और 7 बार स्पेनिश सुपर कप की ट्रॉफी जिताई। अर्जेंटीना के लिए कोपा अमेरिका जीतना और विश्व कप फाइनल तक पहुंचाना अगर और जोड़ लें तो इस दौरान ही मेसी दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी बने। मेसी दुनिया में सबसे ज्यादा 6 बार बैलन डि ऑर जीत चुके हैं जो साल के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर को दिया जाने वाला अवार्ड है।

सैलरी में 50 परसेंट कटौती को भी तैयार थे मेसी
ऐसा महान खिलाड़ी सिर्फ अपने भावनात्मक लगाव के कारण बार्सिलोना छोड़ कर कभी नहीं गया जबकि दुनिया भर के क्लब मुंहमांगी कीमत पर उसे जोड़ना चाहते रहे। उल्टा बार्सिलोना की खराब माली हालत को देखते हुए वो अपनी सैलरी में 50 प्रतिशत की कमी करने को तैयार थे ताकि नया अनुबंध हो सके जबकि दूसरे क्लब पिछले अनुबंध से ज्यादा देने को लाइन लगाए हों। ऐसे बेहतरीन और भावुक इंसान के साथ ला लिगा प्रबंधन और बार्सिलोना प्रबंधन दोनों ने सही नहीं किया जिसका खामियाजा वो आने वाले समय में भुगतेंगे।

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अब ये जानते हैं कि कभी दुनिया के सबसे अमीर क्लबों मे शामिल रहा एफसी बार्सिलोना इस हालत में पहुंचा कैसे ?
बार्सिलोना की बरबादी की कहानी लापोर्ता के प्रेसिडेंट बनने और कोरोना काल से पहले शुरू हो चुकी थी कोरोना ने तो ताबूत में आखिरी कील का काम किया। एक समय इतना अमीर क्लब था कि जिस खिलाड़ी को चाहता साइन कर लेता था। फिर एक दिन उसने जोसेप मारिया मारतोमेउ को अपना प्रेसिडेंट चुन लिया और क्लब के पतन की शुरुआत हो गई। बारतोमेउ ने सालों साल गलत मैनेजर रखे, अनाप शनाप पैसा खर्च किया और भ्रष्टाचार किया। आखिर पुलिस ने छापा मारकर उसे गिरफ्तार किया और बारतो मेउ को क्लब के प्रेसिंडेट पद से हटाया गया लेकिन तब तक वो क्लब की जड़ में काफी मट्ठा डाल चुका था। क्लब के नए प्रेसिंडेट ने उम्मीदें जगाईं लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि मेसी को उनका समर्थन चुनाव जीतने का हथकंडा था। ये सही है कि बार्सिलोना को बर्बाद बारतोमेउ ने किया लापोर्ता ने नहीं पर मेसी को जाने देने से बड़ा कोई गुनाह उस क्लब के लिए नहीं था जो लापोर्ता के समय हुआ।

आने वाला समय लेगा बदला
वक्त बहुत बुरी शय है। अभी करीब एक महीने पहले मेसी ने अपने दम पर अर्जेंटीना को कोपा अमेरिका जिता कर अपना सपना पूरा किया था। पिछले महीने जीवन का सबसे अच्छा दिन देखने वाले मेसी ने रविवार को जीवन का सबसे बड़ा कष्ट झेला। वक्त न लापोर्ता को छोड़ेगा, न बार्सिलोना क्लब को न जेवियर टबास को और न ला लिगा को। इतिहास में ये दर्ज रहेगा कि स्पेन की लीग, बार्सिलोना क्लब और दोनों के प्रबंधन ने दुनिया के सर्वकालीन महानतम फुटबॉलर, सज्जन व्यक्ति और दुनिया के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ी के साथ अच्छा नहीं किया। किए का परिणाम सबको भुगतना ही पड़ता है।

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