सफेद सच: नीरज चोपड़ा ने भाला फेंकते वक्त क्या कहा होगा…पढ़ें हरियाणा की और भी रोचक खबरें
जगदीश त्रिपाठी, हिसार। पानीपत के एक मित्र हैं। विकास के लिए फोकस आन गोल। अब राहुल गांधी से छोटे हैं तो युवा ही कहे जाएंगे। नीरज चोपड़ा के ओलिंपिक में गोल्ड जीतते ही उनका फोन आ गया। पूछा-नीरज ने भाला फेंकते समय क्या कहा होगा। फिर खुद ही बताया-रामचंद्र की जय। आपने कैसे जाना? बोले- देख भाई। नीरज राजपूताना राइफल्स के नायब सूबेदार हैं, जिसका युद्धघोष है- रामचंद्र की जय। मैंने कहा-भाई यह ठीक है। लेकिन इससे कैसे प्रमाणित होता है कि नीरज ने रामचंद्र की जय मन में बोलकर भाला फेंका होगा। वह बोले- जो न माने मेरी बात गलत साबित करके दिखाए, कहा -जब मैं मुलायम शासन में कारसेवा के लिए गया था तो दैनिक जागरण में पढ़ा था कि पहले ढांचे की सुरक्षा के लिए राजपूताना राइफल्स के जवान लगाए जाने थे। लेकिन जब पता चला कि उनका तो युद्धघोष ही रामचंद्र की जय है तो उनकी जगह बीएसएफ की टुकड़ी लगाई गई।
जुगाड़ में मनोहर का जवाब नहीं
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गजब जुगाड़ भिड़ा रखा है। अब देखिए न। ट्रेन में हाइड्रोजन फ्यूल सेल लगाने में भी हरियाणा को नंबर वन बना दिया। भारतीय रेलवे ने इसके लिए सोनीपत-जींद रेलखंड की दो डेमू ट्रेनों का चयन किया है। ये प्रोजेक्ट अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। इनमें सोलर पैनल से बनने वाली बिजली द्वारा पानी का इलेक्ट्रोलासिस करके हाइड्रोजन अलग की जाएगी। फिर हाइड्रोजन फ्यूल सेल सिस्टम से ऊर्जा पैदा कर ट्रेन चलाई जाएगी। हम हरियाणा वाले सबसे पहले इस सिस्टम से चलने वाली ट्रेन पर सवारी करेंगे। बाद में क्रमश: सभी डीजल ट्रेनों को हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलाया जाएगा। फिलहाल अभी ऐसा करने वाला जर्मनी पहला और पोलैंड दूसरा देश है। भारत तीसरा देश होगा। यह भी जान लें कि हाइड्रोजन फ्यूल सबसे क्लीन फ्यूल कहलाता है। इसके बाद ट्रेन चलाने के लिए डीजल या बिजली की जरूरत नहीं रहती।
भाई, सब अपने हैं
हरियाणा में इधर कुछ दिनों से एक नया विवाद शुरू हो गया है। कोई सम्राट मिहिरभोज को अपना बता रहा है तो कोई महाराज अनंगपाल को अपना बता रहा है। गुर्जर कहते हैं कि मिहिरभोज हमारे पूर्वज हैं तो राजपूत कह रहे कि हमारे हैं। अनंगपाल तोमर पर जाट गुर्जर राजपूत सभी दावा ठोक रहे हैं। यद्यपि समझदार लोग कह रहे हैं कि जाट, गुर्जर, राजपूत तीनों क्षत्रिय वर्ण के हैं। इसलिए तोमर-तंवर सरनेम वाले जाटों में भी होते हैं। गुर्जरों में भी होते हैं और राजपूतों में भी। ये विवाद निर्रथक हैं। लेकिन जातिवीर उनकी बात मानने को तैयार ही नहीं। उन्हेंं कौन समझाए कि ये महापुरुष हैं और केवल कुछ जातियों के नहीं, हर भारतीय के हैं। वैसे जातिवीर इन्हेंं जाति के खांचे में फिट कर अपने अहम की तुष्टि भले कर लें, लेकिन जब उनके आदर्शों पर चलने की बात आती है तो कन्नी काट जाते हैं।
मौके पर चौका
तीनों कृषि सुधार कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन में भले ही एक वर्ग विशेष के लोग शामिल हैं, लेकिन उन्होंने मध्य हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में भाजपा-जजपा नेताओं को बाहर निकलना दूभर कर रखा था। लेकिन जैसे ओलिंपिक में भेजे जाने के लिए खिलाडिय़ों की फाइनल लिस्ट बनी, माहौल बदलना शुरू हो गया। दैनिक जागरण ने हरियाणा के खिलाडिय़ों के उत्साहवर्धन के लिए प्रदेश भर में तिरंगा लहराने का अभियान चलाया। इस अभियान ने रंग दिखाया और पूरा प्रदेश देशभक्ति में डूबकर तिरंगा लहराना लगा। हरियाणा भाजपा ने सोचा कि मौका अच्छा है और चौका मार दिया जाए। सो, उसने शहीदों की याद में प्रदेश भर में तिरंगा यात्रा निकालने का अपना कार्यक्रम तय कर दिया। अब आंदोलनकारी तिरंगा यात्रा का विरोध करें तो कैसे करें? कह दिया कि तिरंगा यात्रा का विरोध नहीं होगा। अब भाजपाई ट्रैक्टरों पर सवार होकर तिरंगा यात्रा लेकर गांव-गांव घूम रहे हैं।