25 November, 2024 (Monday)

क्‍या रूस यूक्रेन जंग ताइवान और पूर्वी लद्दाख के लिए खतरे की घंटी? युद्ध के लिए ललकार सकता है चीन? एक्‍सपर्ट व्‍यू

अमेरिकी धमकी के बावजूद जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो भारत को अलर्ट हो जाने की बातें कहीं गई। कहा जा रहा है कि यूक्रेन पर हमले को लेकर अमेरिका ने रूस को युद्ध तक की धमकी दे डाली थी। वह यूक्रेन को हर तरह का सहयोग देने को तत्‍पर था। नाटो सदस्‍य देशों ने भी यूक्रेन को सैन्‍य सहयोग के साथ हर तरह की मदद का भरोसा दिया था। अमेरिकी धमकी बेअसर रही। रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। इसके बाद से यह सवाल उठने लगा है कि चीन भी अपने पड़ोसी मुल्‍कों के साथ आक्रामक हो सकता है। खासकर ताइवान और भारत चीन सीमा व‍िवाद पर इस तरह के सवाल उठने लगे। क्‍या चीन ताइवान और भारत के साथ जंग का ऐलान कर सकता है। क्‍या रूस यूक्रेन जंग से चीन के हौसले बुलंद हैं। चीन ने क्‍वाड संगठन के बहाने क्‍या दिया संदेश? आइए जानते हैं विशेषज्ञों की राय।

1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि ताइवान या यूक्रेन से भारत की स्थिति भिन्‍न है। इसलिए यह कहना कि चीन भी रूस की तरह सीमा विवाद का हल जंग के जरिए कर सकता है, उचित नहीं होगा। आज भारत की स्थिति बेहतर है। भारत की अर्थव्‍यवस्‍था मजबूत है। वह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है। भारत के पास एक बड़ी सेना है। भारतीय वायु सेना का लो‍हा पूरी दुनिया मानती है। इसके अलावा भारत परमाणु संपन्‍न देश है। चीन यह भलीभांत‍ि जानता है कि भारत के साथ युद्ध करने के क्‍या नतीजे निकल सकते है। ऐसे में वह भारत के साथ पंगा नहीं लेना चाहेगा। क्‍वाड के गठन के बाद भारत सामरिक रूप से बेहद मजबूत हुआ है। भारत रूस और अमेरिका दोनों के निकट हैं। ऐसे में यह कल्‍पना करना कि रूस यूक्रेन जंग की तरह चीन भारत के साथ युद्ध छेड़ सकता है यह निराधार है।

2- उन्‍होंने कहा‍ कि इसी तरह से यूक्रेन और ताइवान की तुलना नहीं की जा सकती है। ताइवान की स्थिति यूक्रेन से अलग है। अमेरिका और ताइवान के बीच सैन्‍य समझौता है। इसके मुताबिक अगर कोई दूसरा मुल्‍क ताइवान पर हमला करता है तो अमेरिका उसकी रक्षा करने के लिए संकल्‍प‍ित है। यूक्रेन के साथ अमेरिका का इस तरह से कोई करार नहीं था। यही बात नाटो संगठन पर भी लागू होती है। नाटो संगठन अपने सदस्‍य देशों को ही सैन्‍य मदद मुहैया कराता है। यूक्रेन नाटो संगठन का सदस्‍य देश नहीं था। ऐसे में रूस यूक्रेन जंग के दौरान नाटो ने सैन्‍य मदद से इन्‍कार कर दिया। उन्‍होंने कहा कि ताइवान कि स्थिति अलग है। चीन और ताइवान की जंग में अमेरिका सीधे सैन्‍य हस्‍तक्षेप करेगा। यह चीन के लिए मुश्किल के हालात होंगे।

3- उन्‍होंने कहा कि नाटो और क्‍वाड की तुलना नहीं हो सकती है। उन्‍होंने कहा कि क्‍वाड चीन की विस्तारवादी गतिविधियों के मद्देनजर बना है। हिंद-प्रशांत, दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में चीन की दादागीरी को रोकने के लिए क्‍वाड का गठन हुआ। नाटो से इसकी तुलना नहीं हो सकती। उन्‍होंने कहा कि यह कहीं न कहीं भारत के साथ चेतावनी देने की कोशिश है कि आप अमेरिका के साथ बहुत नजदीकी बढ़ाए हुए हैं।

आखिर क्‍यों उठा यह सवाल

दरअसल, पिछले करीब एक महीने से रूस की सेनाएं यूक्रेन पर भीषण बमबारी कर रही हैं। रूस ने यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल से भी हमला किया है। इसके बावजूद अमेरिका, यूरोपीय संघ समेत दुनियाभर के देश उसके समर्थन में खड़े तो दिख रहे हैं, लेकिन उनके सहयोग से यूक्रेन को कोई राहत नहीं मिल रही है। अमेरिका खुद को दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बताता है लेकिन सिवाय प्रतिबंधों के वह रूस का कुछ भी नहीं बिगाड़ सका है। ऐसे में दुनिया में उसकी छवि एक कमजोर देश के तौर पर बनी है। अमेरिका के रुतबे में गिरावट आई है। ऐसे हालात में चीन यूक्रेन का उदाहरण देकर एशियाई देशों को धमकाने लगा है। अगर उसके बयान पर गौर कीजिए तो लगता है कि उसका इशारा साफ तौर पर भारत की ओर है।

क्‍वाड से क्यों बौखलाया है चीन

चीन के उपविदेश मंत्री ली यूचेंग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिका की हिंद प्रशांत नीति और क्‍वाड जैसे समूहों का बनना उसी तरह से खतरनाक है जैसे यूरोप में नाटो का विस्तार रहा है। चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका की नीति एशिया को नरक में ढकेल सकती है। चीन ने क्‍वाड की निंदा ऐसे समय में की है, जब इस समूह की कुछ दिन पहले हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। क्‍वाड समूह में भारत, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। यह समूह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कड़ी टक्‍कर दे रहा है। इसका उद्देश्‍य समुद्री रास्तों पर व्यापार में आसानी के साथ शक्ति संतुलन साधने पर भी है। अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को काउंटर करने के लिए भारत की बड़ी भूमिका चाहता है। यही वजह है कि जैसे ही मौका मिला, चीन ने भारत को संदेश देने की कोशिश की है।

 

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