क्या पाकिस्तान में हो सकता है सैन्य तख्तापलट? आखिर राजनीतिक अस्थिरता खत्म होने के क्या हैं विकल्प- एक्सपर्ट व्यू
पाकिस्तान में एक बार फिर इमरान सरकार के समक्ष विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। पाकिस्तान में एक राजनीतिक अस्थिरता का दौर है। पाकिस्तान में पहली बार पूरा विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ एकजुट हुआ है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि पाकिस्तान में इमरान खान के पास क्या विकल्प है? राजनीतिक अस्थिरता का दौर कैसे खत्म होगा? क्या एक बार फिर पाकिस्तान में लोकतंत्र खतरे में है? क्या पाकिस्तान की हुकूमत में सेना का वर्चस्व बढ़ेगा? क्या पाकिस्तान एक बार फिर तख्तापलट की ओर बढ़ रहा है? आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
1- विदेश मामलों के जानकार डा अभिषेक प्रताप सिंह (देशबंधु कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर) का कहना है कि पाकिस्तान में एक बार फिर संवैधानिक संकट की स्थिति है। उन्होंने कहा कि अगर सदन में इमरान खान बहुमत हासिल नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में तीन विकल्प हो सकते हैं। इमरान खान की पार्टी किसी अन्य नेता को पीएम पद पर बैठा सकती है। बहुमत के आधार पर विपक्ष सरकार बनाने का दावा कर सकता है। तीसरे देश में नेशनल असेंबली का चुनाव हो सकता है।
2- उन्होंने कहा कि इन सबके बीच सेना का रोल सबसे अहम है। पाकिस्तान में 50 वर्षों के इतिहास में कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी है। ऐसे में इमरान सरकार के समक्ष भी यही चुनौती है। पाकिस्तान की माली हालत देश में नए चुनाव की नहीं है। ऐसे में चुनाव का विकल्प देश के लिए खतरनाक होगा। राजनीतिक अस्थिरता के दौरान पाकिस्तान की राजनीति में सेना की भूमिका बढ़ सकती है। हालांकि, सेना ने अभी तक अपने पत्ते साफ नहीं किए हैं। इसलिए अभी सेना को लेकर केवल अटकलें लगाई जा सकती है।
सत्ता पर सेना की नजर
प्रो.हर्ष वी पंत का कहना है कि अविश्वास प्रस्ताव के साथ पाकिस्तान के लोकतंत्र पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है। अक्सर पाकिस्तान में अस्थिर सरकार के दौर में फौज का दबदबा बढ़ जाता है। इसकी आड़ में सेना सरकार पर काबिज हो जाती है। पाकिस्तान की राजनीति का यह अनुभव रहा है कि वहां लोकतांत्रिक सरकार पर कई बार ग्रहण लग चुका है। पाकिस्तान में चार बार तख्तापलट हो चुका है। पहला तख्तापलट 1953-54 में हुआ। उसके बाद 1958, 1977 और 1999 में तख्तापलट हुआ। वर्ष 1999 में अंतिम बार में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हटाकर सत्ता हासिल कर ली थी।
पाकिस्तान में क्या है अविश्वास प्रस्ताव के नियम
1- पाकिस्तान में इमरान सरकार के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर एक से चार अप्रैल के बीच वोटिंग हो सकती है। इमरान खान के समक्ष अपनी सरकार बचाने की सबसे बड़ी चुनौती है। क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में किस तरह से वोटिंग की जाती है। आखिर पाकिस्तान को अपने पद से कैसे हटाया जा सकता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री को अपने पद से हटाने और अविश्वास प्रस्ताव को लेकर क्या नियम हैं।
2- भारत और पाकिस्तान में विपक्ष के पास सरकार को नियंत्रित करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव के नियम समान हैं। भारत की तरह पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। अब इमरान सरकार को नेशनल असेंबली में अपना पक्ष रखना होगा। सदन में इमरान को अपना बहुमत साबित करना होगा। 342 सदस्यों वाले सदन में 172 मतों की जरूरत होगी। विपक्ष का दावा है कि उसके पास 180 वोट है।
3- नेशनल असेंबली में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के पास 155, एमक्यूएम के पास 7, पीएमएल-क्यू और बीएपी के पास 5-5, जीडीए के पास 3, एएमएल के पास एक सीट है। इसके अलावा जेडब्ल्यूपी के पास एक और निर्दलीय के पास दो सीटें हैं। इन सभी का समर्थन पाने के बाद सरकार के हिस्से में 176 सीटें आती थीं। पाकिस्तान में एकजुट विपक्ष की बात करें तो इसमें पीएमएल-एन के पास 84, पीपीपी के पास 56, एमएमए के पास 15, बीएनपी-एम के पास 4, एएनपी के पास 1 और 2 सीट निर्दलीयों के पास हैं। इस तरह से विपक्ष के खाते में 162 सीटें थीं।
4- मौजूदा समय में सदन की स्थिति बदल चुकी हुई है। इमरान की पार्टी के करीब एक दर्जन से अधिक सांसद पूरी तरह से बगावती हो चुके हैं। इन सांसदों ने तो यहां तक अपील की है कि वो अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्ष का साथ दें। वहीं, उनको समर्थन करने वाली पार्टियों के नेता भी सरकार के खिलाफ लगातार बयान दे रहे हैं। इमरान का समर्थन करने वाली एमक्यूएम ने पीपीपी का हाथ थाम लिया है।